July 4, 2025 3:43 PM

बेंगलुरु भगदड़ मामला: आरसीबी मार्केटिंग चीफ निखिल सोसले सहित चार को अंतरिम जमानत

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हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को बताया संदिग्ध, पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर मिली राहत

बेंगलुरु। एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हाल ही में हुई भगदड़ के मामले में गिरफ्तार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले और तीन अन्य को कर्नाटक उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल गई है। जस्टिस एस.आर. कृष्णकुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया और सभी आरोपियों को अपना पासपोर्ट जमा कराने की शर्त के साथ राहत दी।

इन सभी पर आरोप है कि उनके आयोजन प्रबंधन की लापरवाही से भगदड़ जैसी खतरनाक स्थिति बनी, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान खतरे में पड़ गई थी। हालांकि आरोपियों की ओर से कोर्ट में यह दावा किया गया कि उनकी गिरफ्तारी न केवल अवैध, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन भी है।

आरोपियों ने क्या दलील दी?

कोर्ट में दाखिल याचिका में निखिल सोसले, सुनील मैथ्यू (डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स के डायरेक्टर), किरण कुमार (डीएनए मैनेजर) और शमंत माविनाकेरे ने कहा कि उन्हें बिना किसी ठोस कारण के गिरफ्तार किया गया। उनके अनुसार, यह मामला अब CID को ट्रांसफर हो चुका है, ऐसे में CCB (सेंट्रल क्राइम ब्रांच) द्वारा की गई गिरफ्तारी कानूनन गलत है।

याचिकाकर्ताओं के वकील संदेश चौटाला ने तर्क दिया कि जब जांच CID के अधीन हो चुकी थी, तब CCB के पास गिरफ्तारी का अधिकार नहीं था। इसके अलावा, गिरफ्तारी के वक्त उन्हें किसी स्पष्ट आरोप की सूचना भी नहीं दी गई, जो कि कानून का उल्लंघन है।

सरकार ने क्या कहा?

वहीं राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी ने कोर्ट को बताया कि इन चारों को बेंगलुरु से बाहर जाते समय गिरफ्तार किया गया था और यह कार्रवाई उचित प्रक्रिया के तहत की गई। हालांकि कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फिलहाल अंतरिम राहत देते हुए उन्हें जमानत दे दी।

भगदड़ की पृष्ठभूमि

यह मामला उस समय चर्चा में आया जब IPL मैच के टिकट बिक्री और प्रवेश प्रक्रिया को लेकर स्टेडियम के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ गई थी। अव्यवस्था के कारण भगदड़ मच गई थी और कई लोग घायल हो गए थे। इस घटना को लेकर प्रशासन और आयोजकों की भूमिका पर सवाल उठे थे।

अगली सुनवाई पर स्थिति स्पष्ट होगी

फिलहाल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत दे दी है, लेकिन मामला अब भी न्यायिक जांच के अधीन है। अगली सुनवाई में तय होगा कि इनकी गिरफ्तारी पूरी तरह से वैध थी या नहीं और क्या इनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की आवश्यकता है।स्वदेश

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