नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में ब्याज दरों में 1.25% से 1.50% तक की कटौती कर सकता है। महंगाई दर के नियंत्रण में आने के बाद अब रिजर्व बैंक के पास रेपो रेट घटाने का स्पष्ट रास्ता है।
एकमुश्त कटौती की वकालत
एसबीआई की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आरबीआई को धीरे-धीरे दरें घटाने की बजाय एक बार में 50 बेसिस प्वाइंट्स (0.50%) की बड़ी कटौती करनी चाहिए। इससे बाजार को स्पष्ट संदेश मिलेगा और आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल के दूसरे हिस्से यानी अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच और भी 50 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की संभावना है।
गौरतलब है कि फरवरी 2025 में RBI पहले ही 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर चुका है। यदि आगे भी इसी तरह कटौतियां जारी रहीं, तो मार्च 2026 तक रेपो रेट घटकर 5% से 5.25% के बीच आ सकता है।
कर्ज लेना होगा और सस्ता
अगर आरबीआई ब्याज दरें घटाता है तो इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा। होम लोन, कार लोन और अन्य कर्ज सस्ते हो जाएंगे। साथ ही, उद्योगों को भी पूंजी सस्ते दरों पर उपलब्ध होगी जिससे निवेश और रोजगार को गति मिलेगी।
एसबीआई ने यह भी कहा कि 25-25 बेसिस प्वाइंट्स की छोटी कटौतियों की बजाय बड़ी और एकमुश्त कटौती का असर बाजार में ज्यादा गहरा होता है और इससे निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है।
GDP ग्रोथ और महंगाई: भारत बना हुआ है मजबूत
एसबीआई की रिपोर्ट में देश की GDP ग्रोथ दर 9% से 9.5% रहने का अनुमान जताया गया है। जबकि सरकार ने बजट में इसे 10% बताया था। रिपोर्ट कहती है कि देश में ‘गोल्डीलॉक्स’ स्थिति है—यानी महंगाई नियंत्रण में है और विकास दर अच्छी है। यह वह स्थिति होती है जब न ज्यादा गर्मी (महंगाई) होती है न ठंड (मंदी)—और ऐसे में नीतिगत दरों में कटौती का सबसे उपयुक्त समय होता है।
रुपये की स्थिरता बनी रहेगी
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85 से 87 के बीच स्थिर रहेगा। इससे विदेशी मुद्रा बाजार में भी संतुलन बना रहेगा और आयात-निर्यात पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
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