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April 21, 2025 4:24 AM

राणा सांगा विवाद: अखिलेश यादव ने रामजीलाल के बयान का किया समर्थन, शिवाजी के अभिषेक को लेकर दिया बड़ा बयान

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लखनऊ। राणा सांगा को लेकर जारी विवाद में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सांसद रामजीलाल सुमन के बयान का समर्थन किया है। यह विवाद तब बढ़ा जब रामजीलाल ने कहा कि इतिहास में राणा सांगा की भूमिका को लेकर अलग-अलग मत हैं। इसके बाद अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक बाएं पैर के अंगूठे से किया गया था। उनके इस बयान ने नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में एक सार्वजनिक सभा में बीजेपी सांसद रामजीलाल सुमन ने राणा सांगा को लेकर एक विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इतिहास में राणा सांगा की भूमिका को लेकर भ्रम बना हुआ है और कुछ इतिहासकारों के मत इससे अलग हैं। उनके इस बयान पर भाजपा और कई हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई।

रामजीलाल सुमन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने न केवल उनका समर्थन किया, बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण देते हुए दावा किया कि जब शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ, तब उन्हें बाएं पैर के अंगूठे से तिलक लगाया गया था, क्योंकि ब्राह्मणों ने उनका राज्याभिषेक करने से इनकार कर दिया था।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

अखिलेश यादव के इस बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन पर तीखा हमला बोला। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अखिलेश यादव इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं और यह हिंदू समाज को बांटने की साजिश है। भाजपा नेताओं ने समाजवादी पार्टी पर हिंदू महापुरुषों के अपमान का आरोप लगाया। वहीं, हिंदू संगठनों ने अखिलेश यादव से माफी की मांग की है।

दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा कि अखिलेश यादव ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह बयान दिया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा और आरएसएस अपने एजेंडे के तहत इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं और अखिलेश यादव ने केवल ऐतिहासिक सच्चाई को सामने रखा है।

इतिहासकारों की राय

इतिहासकारों में भी इस मुद्दे को लेकर मतभेद हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक पूरी विधि-विधान से ब्राह्मणों द्वारा ही संपन्न हुआ था और बाएं पैर के अंगूठे से तिलक करने की बात ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है। वहीं, कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि उस समय की सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए यह संभव हो सकता है कि शिवाजी को जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा हो।

जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग अखिलेश यादव के बयान को सही ठहरा रहे हैं, जबकि कई लोग इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ी हुई है।

आगे क्या?

इस पूरे विवाद के बढ़ने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। भाजपा नेताओं ने अखिलेश यादव से अपने बयान पर सफाई देने की मांग की है, जबकि समाजवादी पार्टी ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित बताते हुए अपने नेता के बयान का बचाव किया है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और गरमा सकता है, क्योंकि भाजपा और सपा दोनों इसे अपने-अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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