September 17, 2025 9:08 AM

राम दरबार की भव्य प्राण प्रतिष्ठा से रोशन हुई रामनगरी, इतिहास में जुड़ा स्वर्णिम अध्याय

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अयोध्या।
पावन रामनगरी अयोध्या एक बार फिर भक्ति, आस्था और परंपरा के महान संगम की साक्षी बनी, जब बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत रूप से सम्पन्न हुई। यह क्षण न केवल धार्मिक दृष्टि से विशेष था, बल्कि सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी बन गया।

अब राम दरबार — जिसमें भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और भगवान हनुमान सहित समस्त दिव्य रूप शामिल हैं — अपने भव्य मंदिर में विधिवत रूप से विराजमान हो गया है। गुरुवार तड़के ब्रह्ममुहूर्त में जब मंदिर प्रांगण में वैदिक ऋचाएं गूंजने लगीं, तब समूचा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। देशभर से आए पंडितों, वेदाचार्यों और संतों की उपस्थिति में वैदिक विधियों से प्राण प्रतिष्ठा का यह पावन अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। शंखनाद, मंत्रोच्चार और हवन की सुगंध से मंदिर परिसर दिव्यता से भर उठा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस ऐतिहासिक अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित रहे। वे स्वयं मंदिर प्रांगण में विधिविधान से आयोजित पूजन में सम्मिलित हुए और राम दरबार को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने इस पूरे आयोजन को और भी गरिमामयी बना दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह क्षण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भारतीय आत्मा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। राम जन्मभूमि पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा देशवासियों की सदियों पुरानी आस्था और संघर्ष का साक्षात फल है।

राम दरबार के दर्शन को उमड़ी भीड़
प्राण प्रतिष्ठा के इस शुभ अवसर पर अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं ने मंदिर के बाहर खड़े रहकर मंत्रोच्चार की ध्वनि के साथ प्रभु श्रीराम का नाम लिया और प्रसन्नता प्रकट की। मंदिर परिसर को फूलों, दीपों और रंगोलियों से सजाया गया था।

सुरक्षा और व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं रही
इतने बड़े आयोजन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे। मंदिर परिसर में आने वाले हर श्रद्धालु की पहचान और स्कैनिंग सुनिश्चित की गई थी। नगर में यातायात नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाएं और आपातकालीन दल भी तैनात रहे।

सांस्कृतिक विरासत को संजोता क्षण
राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक चेतना के नवोत्सर्ग का संकेत है। यह आयोजन भारत के उस आत्मगौरव की पुनर्स्थापना है, जो रामराज्य के आदर्शों में रचा-बसा है।

कार्यक्रम के समापन के पश्चात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथ जोड़कर राम दरबार को प्रणाम किया और शांत मन से वहां से रवाना हो गए। इस दिव्य क्षण ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि अयोध्या की मिट्टी में भक्ति, त्याग और मर्यादा का जीवंत इतिहास आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना त्रेतायुग में था।


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