14वीं बार पैरोल पर बाहर आए राम रहीम, जन्मदिन मनाने को मिली 40 दिन की छुट्टी
रोहतक। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर जेल से 40 दिनों की पैरोल मिल गई है। यह 14वीं बार है जब राम रहीम को जेल से अस्थायी रिहाई मिली है। मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच वह सुनारिया जेल से बाहर आया। बताया जा रहा है कि इस बार वह 15 अगस्त को अपना 58वां जन्मदिन मनाने के लिए बाहर आया है।
7 बजे सुबह जेल से निकला राम रहीम, चाकचौबंद रही सुरक्षा
मंगलवार सुबह लगभग 7:00 बजे राम रहीम को सुनारिया जेल से रिहा किया गया। इस दौरान जेल परिसर में सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए थे। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा, जिससे किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो। जेल अधीक्षक सत्यवान ने बताया कि राम रहीम को जेल नियमों के तहत ही पैरोल प्रदान की गई है।
साध्वी यौन शोषण और हत्या के मामलों में काट रहा है 20 साल की सजा
गौरतलब है कि राम रहीम को साध्वियों के यौन शोषण और दोहरे हत्या के मामलों में अदालत ने दोषी ठहराते हुए 20 साल जेल की सजा सुनाई है। वह रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उसे समय-समय पर पैरोल मिलती रही है।
इस साल भी राम रहीम 9 अप्रैल को 21 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर आया था। अब अगस्त में उसे 40 दिन की पैरोल मिली है, जो अब तक की सबसे लंबी अस्थायी रिहाई में से एक मानी जा रही है।
इस बार जन्मदिन बना कारण, लेकिन अनुयायियों से दूर रहने की शर्त
राम रहीम को इस बार जेल से बाहर आने की अनुमति उसके जन्मदिन को मनाने के उद्देश्य से दी गई है। उसका 58वां जन्मदिन 15 अगस्त को पड़ता है। हालांकि, पैरोल नियमों के तहत उसे अपने डेरे में भीड़ एकत्र करने की अनुमति नहीं दी गई है।
राम रहीम सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय में नहीं जा सकता, लेकिन वर्चुअल माध्यम से अपने अनुयायियों को संबोधित कर सकता है। इससे पहले भी वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए अपने समर्थकों से संवाद करता रहा है।

आलोचना और सवालों में सरकार की भूमिका
राम रहीम को बार-बार मिल रही पैरोल को लेकर विपक्ष और सामाजिक संगठनों की ओर से सवाल उठते रहे हैं। विशेष रूप से ऐसे मामले में जहां आरोपी को गंभीर अपराधों में सजा सुनाई गई हो, वहां बार-बार जेल से बाहर आना कई लोगों को न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हरियाणा और पंजाब के कुछ इलाकों में डेरा सच्चा सौदा के बड़े वोट बैंक को देखते हुए राजनीतिक दलों का रुख नरम बना रहता है। यही वजह है कि राम रहीम को बार-बार सुविधाएं और छूट दी जाती रही हैं।
राम रहीम की यह 14वीं पैरोल एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। जहां एक ओर समर्थकों में उत्साह है, वहीं कानून और व्यवस्था की दृष्टि से यह फैसला सवालों के घेरे में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में वह अपने अनुयायियों के साथ किस तरह संवाद करता है और सरकार उसकी गतिविधियों पर कितनी सख्ती से नजर रखती है।
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