अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि परिसर के सभी मंदिरों का निर्माण पूरा, अब भव्य दर्शन की तैयारी

अयोध्या। लंबे इंतजार के बाद श्रीराम जन्मभूमि पर बने श्रीरामलला मंदिर का निर्माण कार्य पूरी तरह संपन्न हो गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि मुख्य मंदिर सहित पूरे परिसर में स्थित सभी सहायक मंदिरों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। परिसर में बने छह मंदिरों — शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती और अन्नपूर्णा — पर ध्वजदंड और कलश भी स्थापित किए जा चुके हैं।

चंपत राय ने कहा कि अब श्रीरामलला का मंदिर अपनी संपूर्ण भव्यता के साथ तैयार है। उन्होंने बताया कि शेषावतार मंदिर का कार्य भी पूरा हो गया है, साथ ही सप्त मंडप — महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, शबरी और ऋषि पत्नी अहल्या — के मंदिर भी पूर्ण हो चुके हैं। इन सभी मंदिरों में मूर्तियों की प्रतिष्ठा और धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हो चुके हैं।

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दर्शनार्थियों की सुविधा से जुड़े कार्य भी पूर्ण

ट्रस्ट महासचिव ने कहा कि सन्त तुलसीदास मंदिर, जटायु प्रतिमा और गिलहरी स्मृति स्थल का निर्माण भी संपन्न हो चुका है। उन्होंने बताया कि जो कार्य सीधे तौर पर श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों की सुविधा से जुड़े हैं, वे अब पूरे हो चुके हैं। परिसर के सभी मुख्य मार्गों का निर्माण पूरा हो चुका है, वहीं एलएंडटी कंपनी द्वारा मानचित्र के अनुसार सड़कों और फर्श पर पत्थर बिछाने का कार्य किया गया है।

चंपत राय ने कहा कि भूमि सौंदर्य और हरियाली बढ़ाने के लिए लैंडस्केपिंग का कार्य तेज़ी से जारी है। जीएमआर कंपनी द्वारा लगभग 10 एकड़ क्षेत्र में पंचवटी क्षेत्र का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें वृक्षारोपण और सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह क्षेत्र आगंतुकों को प्राकृतिक वातावरण का अनुभव कराएगा।

प्रशासनिक और संरचनात्मक कार्य अभी जारी

हालांकि मुख्य मंदिर और दर्शन से जुड़े सभी कार्य पूरे हो चुके हैं, लेकिन ट्रस्ट से संबंधित कुछ निर्माण कार्य अभी जारी हैं। चंपत राय ने बताया कि इनमें 3.5 किलोमीटर लंबी चारदीवारी, ट्रस्ट कार्यालय, अतिथि गृह और सभागार का निर्माण शामिल है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन कार्यों का संबंध आम श्रद्धालुओं से नहीं है, इसलिए इनसे दर्शन व्यवस्था प्रभावित नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि 70 एकड़ में फैले इस पूरे निर्माण कार्य की जटिलता को केवल देखकर समझा जा सकता है। उन्होंने कहा, “इन कार्यों की कठिनाइयाँ टीवी और अखबारों से जानना कठिन है। इतने विशाल क्षेत्र में एक साथ कई स्तरों पर काम हुआ है, जिसमें सैकड़ों इंजीनियर, कारीगर, शिल्पी और श्रमिकों ने अपनी भूमिका निभाई है।”

भव्यता और परंपरा का संगम

अयोध्या का श्रीरामलला मंदिर न केवल आधुनिक स्थापत्य का उदाहरण है बल्कि यह भारतीय शिल्पकला और परंपरा का संगम भी है। मंदिर निर्माण में राजस्थान और गुजरात से लाए गए गुलाबी बलुआ पत्थर, मध्यप्रदेश के ग्रेनाइट और कर्नाटक की विशेष शिलाओं का उपयोग किया गया है। मंदिर के प्रत्येक स्तंभ पर रामायण के प्रसंगों को दर्शाती सुंदर नक्काशी की गई है।

ट्रस्ट ने बताया कि मंदिर परिसर में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। सौर ऊर्जा संयंत्र और वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की गई है, ताकि मंदिर परिसर आत्मनिर्भर बन सके।

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जल्द उद्घाटन का अनुमान

हालांकि आधिकारिक उद्घाटन की तारीख की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का शेष भाग औपचारिक रूप से आगामी धार्मिक अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए पूर्ण रूप से खोला जाएगा। फिलहाल मंदिर परिसर में आने वाले भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्था के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं।

अयोध्या अब केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि राष्ट्र की आस्था और गौरव का प्रतीक बन चुकी है। रामलला के भव्य मंदिर के पूर्ण होने के साथ, करोड़ों श्रद्धालुओं के वर्षों पुराने सपने को साकार रूप मिला है।