संसद में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राजनाथ सिंह का बयान: पाकिस्तान को चेतावनी, सेना को सलाम
नई दिल्ली। पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई, ‘ऑपरेशन सिंदूर’, सोमवार को लोकसभा में चर्चा का केंद्र रही। इस 16 घंटे लंबी बहस की शुरुआत देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। उन्होंने न केवल इस सैन्य कार्रवाई का तथ्यात्मक विवरण दिया, बल्कि इसके राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक प्रभावों पर भी स्पष्ट रुख रखा। उनके वक्तव्य ने न सिर्फ पाकिस्तान को दो टूक संदेश दिया, बल्कि संसद के माध्यम से देश को एकजुट होने का भी आह्वान किया।

भारत ने आतंक का जवाब निर्णायक ढंग से दिया
रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में बताया कि किस तरह भारतीय सेना ने पहलगाम हमले के जिम्मेदार पाकिस्तानी आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन में भारत को किसी प्रकार की सैन्य क्षति नहीं हुई, जबकि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के अड्डों को भारी नुकसान पहुंचाया गया। राजनाथ सिंह ने इसे भारत की बदली हुई नीति का उदाहरण बताया, जिसमें अब आतंक का जवाब सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर आतंकियों के घर में घुसकर दिया जाएगा।
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में हुए 'ऑपरेशन सिन्दूर' पर #LokSabha में विशेष चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री @rajnathsingh का पूरा वक्तव्य देखिए. #MonsoonSession2025
— SansadTV (@sansad_tv) July 28, 2025
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ऑपरेशन के बाद पाकिस्तानी सेना ने मांगी शांति
10 मई को जब भारत ने आतंकियों के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई की, तो 12 मई को पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशक (DGMO) ने भारत के DGMO से औपचारिक संपर्क कर संघर्ष विराम की अपील की। इस बातचीत में दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाइयों पर विराम लगाने का निर्णय लिया। यह जानकारी रक्षा मंत्री ने खुद संसद के पटल पर साझा की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत की निर्णायक कार्रवाई के सामने पाकिस्तान को झुकना पड़ा।
“शेर कभी मेंढक पर हमला नहीं करता”
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान की तुलना में भारत की सैन्य और रणनीतिक श्रेष्ठता को रेखांकित करते हुए कहा, “शेर कभी मेंढक पर हमला नहीं करता।” उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान से लड़कर अपना स्तर नहीं गिराएगा, परंतु जब बात मातृभूमि की रक्षा की हो, तो भारत कोई समझौता नहीं करेगा। यह बयान न केवल पाकिस्तान को चेतावनी था, बल्कि भारत की आंतरिक एकता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक भी।

“संगच्छध्वं संवदध्वं” की पुकार
रक्षा मंत्री ने विपक्षी दलों को भी घेरा। उन्होंने विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर कहा कि इस समय सेना की वीरता पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सभी दलों से अनुरोध किया कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होकर सेना के पराक्रम को सम्मान दें। उन्होंने वेद मंत्र “संगच्छध्वं संवदध्वं” का उल्लेख करते हुए कहा कि एकता ही राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत होती है।
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चे पर भारत की सफलता
राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीतिक उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2017 में ब्रिक्स सम्मेलन में पहली बार लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों का नाम लेकर आतंकवाद की निंदा की गई। इसी प्रकार ब्राजील में हुई ब्रिक्स बैठक में, चीन की मौजूदगी के बावजूद, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की खुलेआम निंदा की गई। यह दर्शाता है कि अब विश्व समुदाय भी भारत की आतंकवाद विरोधी नीति का समर्थन कर रहा है।

प्रणब मुखर्जी की किताब का जिक्र: इतिहास से सबक
राजनाथ सिंह ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का उल्लेख करते हुए तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की पुस्तक द कोएलिशन ईयर्स से उद्धरण पढ़ा। उन्होंने बताया कि हमले के बाद एक उच्चस्तरीय बैठक में सैन्य कार्रवाई के सुझावों को ठुकरा दिया गया था। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि अगर उस समय की सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक जैसे कड़े कदम उठाए होते, तो पाकिस्तान की आतंकवादी रणनीति को झटका लग सकता था।
निर्णय की ताकत ही सुरक्षा की गारंटी
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रियात्मक देश नहीं रहा, बल्कि निर्णायक और अग्रसक्रिय (प्रोएक्टिव) नीति पर चल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपने स्टैंड से कोई समझौता नहीं किया और स्पष्ट चेतावनी दी कि जब तक भारत की बात नहीं मानी जाएगी, तब तक वह किसी संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
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