राजनाथ सिंह लोंगेवाला पहुंचे, शहीदों को दी श्रद्धांजलि और सेना की तैयारियों की समीक्षा
जैसलमेर दौरे की शुरुआत और लोंगेवाला के लिए रवाना
जोधपुर, 24 अक्टूबर। देश की सुरक्षा और सीमाई तैयारियों की समीक्षा के उद्देश्य से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज राजस्थान के सीमावर्ती जिले जैसलमेर के दौरे पर पहुंचे। तनोट माता मंदिर में दर्शन करने के बाद वे तनोट हेलीपेड से हेलीकॉप्टर द्वारा ऐतिहासिक लोंगेवाला युद्ध स्थल के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरगति प्राप्त करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

शहीदों को श्रद्धांजलि और सैनिकों से संवाद
लोंगेवाला पहुंचते ही राजनाथ सिंह ने युद्ध स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों के बलिदान को नमन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले जवानों के अदम्य साहस और बलिदान से ही देश आज सुरक्षित है।” रक्षा मंत्री ने जवानों से संवाद करते हुए उन्हें राष्ट्र की सुरक्षा में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार हर स्तर पर सेना के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीमा की ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा
लोंगेवाला दौरे के दौरान राजनाथ सिंह ने सीमा क्षेत्र में भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने सीमा पर तैनात जवानों से वर्तमान परिस्थितियों की जानकारी ली और रियल टाइम मिलिट्री डिप्लॉयमेंट तथा तकनीकी क्षमताओं का प्रत्यक्ष रूप से जायजा लिया। रक्षा मंत्री ने सेना की आधुनिकीकरण प्रक्रिया पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि “भारतीय सेना को विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं की पंक्ति में बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
#WATCH | जैसलमेर, राजस्थान: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "…कुछ ही दिन पहले ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को कड़ी नसीहत दी गई। अब वो कोई भी दुस्साहस करने से पहले सौ बार सोचेगा। और अगर पाकिस्तान ने दोबारा कोई दुस्साहस किया तो उसे अच्छे से पता है कि उसके क्या नतीजे होंगे।… pic.twitter.com/lvK2FjGraz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 23, 2025
आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में रक्षा रणनीति पर चर्चा
इसके बाद रक्षा मंत्री जैसलमेर आर्मी कैंट पहुंचे, जहां उन्होंने आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। इस उच्चस्तरीय बैठक में थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी सहित सेना के शीर्ष कमांडर मौजूद रहे। बैठक में देश की सुरक्षा नीति, सीमाई रक्षा व्यवस्था, भविष्य की युद्ध रणनीति और सैन्य सुधारों पर गहन चर्चा की गई।
‘अग्निवीर योजना’ और भविष्य की सैन्य नीति पर मंथन
सूत्रों के अनुसार, इस कॉन्फ्रेंस में ‘अग्निवीर योजना’ से संबंधित विषयों पर भी विस्तृत विमर्श हुआ। इसमें अग्निवीरों की दीर्घकालिक नियुक्ति, प्रशिक्षण, कैरियर विकास और सैन्य नीति में उनके योगदान पर विचार किया गया। रक्षा मंत्री ने अधिकारियों से इस योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा रिपोर्ट मांगी और इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए।

सीमाई सुरक्षा और आधुनिक सेना का विजन
राजनाथ सिंह ने बैठक में कहा कि “भारत की सुरक्षा नीति अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक है। हमारी सेना किसी भी परिस्थिति में देश की सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सरकार का लक्ष्य सीमाई क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर वहां की सैन्य और नागरिक व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाना है।
वायुसेना बेस का निरीक्षण और अधिकारियों से चर्चा
दौरे के अंत में रक्षा मंत्री ने जैसलमेर एयरबेस का निरीक्षण किया और वायुसेना अधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि “राजस्थान की सीमाएं भारत की सुरक्षा का अभेद कवच हैं। यहां तैनात सेना और वायुसेना के जवान देश के गौरव और आत्मसम्मान के प्रतीक हैं।”

सीमाई सुरक्षा सुदृढ़ करने की दिशा में अहम दौरा
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, राजनाथ सिंह का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है जब भारत-पाक सीमा पर सैन्य गतिविधियाँ बढ़ी हैं और कई रणनीतिक क्षेत्रों में नई तकनीकी प्रणालियों की तैनाती की जा रही है। इस दौरे से यह संदेश गया है कि भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है और केंद्र सरकार सीमाई सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
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