- सवाई माधोपुर में बढ़ी सौर उत्पादन क्षमता, 250 से अधिक किसानों को दिन में सिंचाई के लिए मिलेगी सौर बिजली
जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी ऊर्जा नीति और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान आज अक्षय ऊर्जा उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है। राज्य में प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सौर ऊर्जा उत्पादन तेजी से बढ़ा है, जिसमें सवाई माधोपुर जिला भी इस ऊर्जा क्रांति का मजबूत हिस्सा बन गया है। बौंली उपखंड के कोलाड़ा 33/11 केवी सब-स्टेशन क्षेत्र में हाल ही में 1.82 मेगावाट क्षमता का सौर संयंत्र और रामसिंहपुरा सब-स्टेशन क्षेत्र में 1.12 मेगावाट क्षमता का संयंत्र स्थापित किया गया है।
दोनों को मिलाकर कुल 2.94 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना पूरी हो चुकी है।
राजस्थान में कुसुम योजना बनी ऊर्जा आत्मनिर्भरता का प्रतीक
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के कंपोनेंट-ए और कंपोनेंट-सी के अंतर्गत अब तक 2,000 मेगावाट से अधिक विकेन्द्रित सौर संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।
राजस्थान कंपोनेंट-ए में देश में पहले स्थान पर है, जबकि कंपोनेंट-सी में महाराष्ट्र और गुजरात के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है।
राज्य का यह प्रदर्शन देशभर में एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान की नीति कृषि, पर्यावरण और आर्थिक विकास — तीनों को एक साथ गति दे रही है।
कोलाड़ा और रामसिंहपुरा से 250 से अधिक किसानों को लाभ
कोलाड़ा और रामसिंहपुरा में शुरू किए गए 2.94 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्रों से अब 250 से अधिक कृषक परिवारों को दिन के समय सौर ऊर्जा आधारित बिजली उपलब्ध होगी।
इससे किसान अब डीजल या रात की बिजली पर निर्भर रहने के बजाय दिन में सिंचाई कर सकेंगे, जिससे उनकी उत्पादन लागत घटेगी और आय बढ़ेगी।
जिले में नई परियोजनाएं तेजी से आगे बढ़ रहीं
वर्तमान में सवाई माधोपुर जिले में कंपोनेंट-ए के तहत कुल 3 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र चालू हैं, जबकि 3.67 मेगावाट के संयंत्र निर्माणाधीन हैं।
सारसोप में 1.42 मेगावाट और कोलाड़ा में 2.25 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों का कार्य अंतिम चरण में है।
इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर जिले में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
किसानों को नई रोशनी और आत्मनिर्भरता की दिशा
प्रधानमंत्री कुसुम योजना ने किसानों के जीवन में ‘ऊर्जा क्रांति’ ला दी है।
इस योजना के तहत किसान अब बिजली और डीजल निर्भरता से मुक्त होकर सौर ऊर्जा से सिंचाई कर रहे हैं।
इसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है और कई किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत भी मिला है।
केंद्र और राज्य मिलकर बना रहे हैं सौर ऊर्जा का भविष्य
केंद्र सरकार ने राजस्थान के उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए कंपोनेंट-ए में वर्ष 2024-25 के लिए 397 मेगावाट और 2025-26 के लिए 5,000 मेगावाट क्षमता का अतिरिक्त आवंटन दिया है।
वहीं कंपोनेंट-सी के तहत दोनों वर्षों में 2 लाख सोलर पंपों की अतिरिक्त मंजूरी दी गई है।
अब तक केंद्र सरकार राजस्थान को कंपोनेंट-ए में 5,500 मेगावाट और कंपोनेंट-सी में 4 लाख सोलर पंपों का लक्ष्य आवंटित कर चुकी है।
कृषि कनेक्शन नीति में संशोधन से मिलेगी राहत
राज्य सरकार ने कृषि कनेक्शन नीति-2017 में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है कि कुसुम योजना के तहत स्थापित सौर संयंत्रों से जुड़े फीडरों पर प्राथमिकता के आधार पर तुरंत कृषि कनेक्शन जारी किए जाएंगे।
इस फैसले से किसानों को बड़ी राहत मिलेगी।
वर्तमान में सवाई माधोपुर जिले में 1,590 कृषि कनेक्शन लंबित हैं और 480 नए आवेदन प्राप्त हुए हैं। नई नीति के तहत इन सभी आवेदनों को शीघ्र स्वीकृति दी जाएगी, जिससे किसानों को दिन में बिजली उपलब्ध कराई जा सकेगी।
ऊर्जा आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
कोलाड़ा और रामसिंहपुरा में सौर संयंत्रों की स्थापना यह साबित करती है कि राजस्थान ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
यह न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थायी विकास और किसानों की समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
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