मुंबई।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ आने की संभावना बन रही है, जहां 19 साल बाद दो ठाकरे—राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे—फिर एक साथ नजर आ सकते हैं। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित राजनीतिक गठबंधन की चर्चाएं ज़ोर पकड़ रही हैं।
इस राजनीतिक सरगर्मी की शुरुआत मनसे प्रमुख राज ठाकरे के एक पॉडकास्ट इंटरव्यू से हुई, जिसमें उन्होंने फिल्म अभिनेता और अपने करीबी मित्र महेश मांजरेकर से बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा कि वे उद्धव ठाकरे के साथ महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित में काम करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, “हमारे बीच जो भी झगड़े या मतभेद रहे हैं, वे छोटे हैं। महाराष्ट्र इससे बड़ा है और उसके लिए हम एक हो सकते हैं।”
राज ने बढ़ाया हाथ, उद्धव ने रखी शर्त
राज ठाकरे के इस बयान के कुछ समय बाद ही शिवसेना यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह भी पुरानी बातों को भूलकर एकता के लिए तैयार हैं, लेकिन एक स्पष्ट शर्त रखी—राज ठाकरे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिंदे गुट से दूरी बनानी होगी।
उद्धव ठाकरे ने कहा, “अगर वह मेरे साथ आना चाहते हैं, तो पहले यह तय करें कि उनकी निष्ठा मेरे साथ है या भाजपा-शिंदे गुट के साथ। मैं साथ आने के लिए तैयार हूं, लेकिन दो नावों की सवारी नहीं हो सकती।”
ठाकरे बंधुओं के रिश्तों की पृष्ठभूमि
2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर मनसे की स्थापना की थी, और तभी से दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक दूरियां बनी रहीं। इन वर्षों में कई बार आरोप-प्रत्यारोप और राजनीतिक टकराव देखने को मिला, लेकिन अब पहली बार दोनों नेताओं की ओर से एकता के स्पष्ट संकेत सामने आए हैं।
आगे क्या?
यह संभावित गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा फेरबदल ला सकता है, खासकर आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राज ठाकरे भाजपा और शिंदे गुट से नाता तोड़ते हैं, या फिर यह संभावित गठबंधन केवल बातचीत तक ही सीमित रह जाएगा।
फिलहाल गेंद एक बार फिर राज ठाकरे के पाले में है, और आने वाले दिनों में उनके निर्णय पर ही इस ‘एकता’ की दिशा तय होगी।
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