नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे अब एक और बड़े बदलाव के दौर में प्रवेश कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के दाहोद में देश के अब तक के सबसे ताकतवर 9000 हॉर्सपावर वाले इलेक्ट्रिक इंजन को हरी झंडी दिखाई है। यह इंजन सिर्फ तकनीकी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि भारत की औद्योगिक आत्मनिर्भरता और भविष्य के लॉजिस्टिक विज़न को भी एक नई दिशा देने वाला साबित होगा।

9000 HP: एक सिंगल यूनिट में अभूतपूर्व क्षमता
रेलवे मंत्रालय के अनुसार यह नया इंजन पूरी तरह से सिंगल यूनिट है। अब तक भारतीय मालगाड़ियों में 4500 या 6000 HP के इंजन का उपयोग होता था, और 12,000 HP की क्षमता पाने के लिए दो इंजनों को जोड़ा जाता था। लेकिन इस नई तकनीक में एक ही यूनिट में 9000 HP की ताकत समाई हुई है। इसका अर्थ है कि एक ही इंजन से अब ज्यादा लंबी और भारी मालगाड़ियां आसानी से खींची जा सकेंगी।

लॉजिस्टिक्स और समय प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव
इस इंजन के आने से रेलवे को कम ट्रिप्स में ज्यादा माल ले जाने की सुविधा मिलेगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि हाई डेंसिटी फ्रेट कॉरिडोर्स पर भीड़भाड़ कम होगी, ट्रैफिक प्रबंधन बेहतर होगा और ऑपरेटिंग खर्च भी घटेगा। साथ ही, इंजन की कम संख्या में ज़रूरत पड़ने से स्टाफिंग और ऊर्जा खपत दोनों में कटौती होगी।

मेक इन इंडिया और ग्रीन इंडिया का आदर्श
यह शक्तिशाली इंजन दाहोद की उस फैक्ट्री में तैयार किया गया है, जिसकी नींव स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में रखी थी। इस फैक्ट्री में 1200 इलेक्ट्रिक इंजन बनाए जाने हैं और यह Alstom इंडिया के साथ साझेदारी का परिणाम है।
परियोजना में 89% पुर्जे देश में बने हैं, जो इसे “मेक इन इंडिया” और “मेक फॉर वर्ल्ड” के विजन का सशक्त प्रतीक बनाते हैं।
हरित निर्माण और निर्यात की दिशा में कदम
यह फैक्ट्री पूरी तरह से हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) से संचालित होती है और इसे ‘ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग’ टैग मिला है। खास बात यह है कि फैक्ट्री में ब्रॉड गेज के साथ-साथ स्टैंडर्ड गेज इंजन भी बनेंगे, जिनका उपयोग अंतरराष्ट्रीय निर्यात में किया जाएगा।

न केवल इंजन, बल्कि भविष्य की दिशा
यह 9000 हॉर्सपावर वाला इंजन न सिर्फ रेलवे के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बदलने जा रहा है, बल्कि यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, औद्योगिक विकास और पर्यावरणीय जवाबदेही का मेल है। यह इंजन भारतीय रेलवे के उस भविष्य की बुनियाद रखता है, जिसमें तेज, दक्ष और टिकाऊ ढुलाई व्यवस्था केंद्र में होगी।
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