- रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर सिस्टम से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया
नई दिल्ली। भारत ने बुधवार देर रात देश के क्षमताओं में एक नया अध्याय जोड़ते हुए रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर सिस्टम से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण कैनिस्टराइज्ड लॉन्चिंग सिस्टम के माध्यम से ओडिशा के चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से संपन्न हुआ। परीक्षण के दौरान मिसाइल को रेल पर विशेष रूप से डिजाइन किए गए मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया गया, जो किसी भी सामान्य रेल नेटवर्क पर चलने और देश के दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने में सक्षम है। इस सफलता ने भारत को उन्हीं चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला दिया है जिनके पास रेल नेटवर्क से मिसाइल लॉन्च करने की कैनिस्टराइज्ड क्षमता मौजूद है।
रेल से मिसाइल टेस्ट की यह तकनीक और रणनीतिक मायने
रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर की प्रमुख विशेषता इसकी गतिशीलता और छिपाव क्षमता है। पारंपरिक स्थिर लॉन्चरों के मुकाबले रेल प्लेटफॉर्म पर स्थापित कैनिस्टराइज्ड सिस्टम किसी भी समय, कम तैयारी के साथ, कम देखे जाने वाले स्थान से मिसाइल लॉन्च कर सकता है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, कैनिस्टर में बंद मिसाइल नमी, धूल, मौसम और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों से सुरक्षित रहती है और इसे बार-बार रख-रखाव के लिए अलग से तैयार नहीं करना पड़ता। इससे बलों को तात्कालिक और अप्रत्याशित परिस्थितियों में तेज प्रतिक्रिया देने की शक्ति मिलती है। रक्षा मंत्री ने विशेष रूप से कहा कि यह सिस्टम रात के अंधेरे और धुंध जैसे मुश्किल इलाकों से भी त्वरित लॉन्च संभव बनाता है, जिससे रणनीतिक परिचालन विविधता और उत्तरजीविता दोनों बढ़ते हैं।
Intermediate Range Agni-Prime Missile was successfully tested on 24 Sep 2025 from a Rail based Mobile launcher. This will be a force multiplier to strategic forces, with a game changer road cum rail missile system pic.twitter.com/bEmDQoHNUf
— DRDO (@DRDO_India)Intermediate Range Agni-Prime Missile was successfully tested on 24 Sep 2025 from a Rail based Mobile launcher. This will be a force multiplier to strategic forces, with a game changer road cum rail missile system pic.twitter.com/bEmDQoHNUf
— DRDO (@DRDO_India) September 25, 2025
रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और वैश्विक परिप्रेक्ष्य
रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चरों का परीक्षण पहले रूस, चीन और उत्तर कोरिया ने किया है; सूची में अमेरिका का नाम चर्चा में रहा है परन्तु उसने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की। भारत के लिए इस सफल परीक्षण का अर्थ केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह सामरिक स्थिरता और निरोध क्षमता को भी बढ़ाता है। 2000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता के लिए डिजाइन की गई अग्नि-प्राइम मिसाइल अब रेल-आधारित लॉन्चिंग की सुविधा के साथ भारत की प्रभावशीलता और जवाबी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक गतिशील लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म दुश्मन के लिए लक्ष्य पहचान और पूर्वाभ्यास को कठिन बना देता है, जिससे न सिर्फ यह सुनिश्चित होता है कि प्रतिक्रिया का विकल्प अधिक रहता है, बल्कि प्रतिद्वंदी के लिए न्यूक्लियर या काला-सामरिक संतुलन बनाये रखना जटिल हो जाता है।
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तकनीकी पहलू और सुरक्षा मानक
कैनिस्टराइज्ड लॉन्च सिस्टम का डिजाइन मैकेनिकल, थर्मल और इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है ताकि मिसाइल हड़बड़ी में भी सुरक्षित रूप से लॉन्च की जा सके। रेल-आधारित कैनिस्टर में मिसाइल को त्वरित रूप से चैनलाइज़ कर लॉन्चिंग पाइपलाइन से जोड़ा जाता है, जिससे लॉन्च के पहले आवश्यक तैयारियाँ कम समय में पूरी हो सकती हैं। ट्रेन-आधारित प्लेटफॉर्म का इंटीग्रेशन लोकेशन-निरपेक्षता और कवर-अप क्षमता देता है, क्योंकि किसी भी रेल-लिंक वाले क्षेत्र में यह प्लेटफॉर्म पहुंच सकता है और आवश्यकतानुसार पोजीशन बदल सकता है। रक्षा विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि इस तरह के सिस्टम का संचालन और रखरखाव उच्च गोपनीयता, कड़े लॉजिस्टिक नियंत्रण और समन्वित कमांड-कंट्रोल संरचना पर निर्भर करता है।
प्रभाव और नीति के आयाम
रेल से मिसाइल टेस्ट की यह सफलता राष्ट्रीय सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में भारत की निर्णायक क्षमता को बढ़ाती है। साथ ही यह भारत-वितीय रक्षा उद्यम और स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने का संकेत भी देती है। ऐसे सिस्टम की तैनाती के लिए लंबी अवधि की नीति आवश्यक होगी जिसमें रेलवे नेटवर्क की विश्वसनीयता, रणनीतिक स्थलों की सुरक्षा, नागरिक-समन्वय, अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन और पारदर्शी नियंत्रण संरचनाएँ शामिल हों। नीति-निर्माताओं के सामने अब यह चुनौती है कि गतिशीलता और खतरे की पहचान के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए ताकि यह प्रणाली गलती से अंतरराष्ट्रीय तनाव उत्पन्न न करे।
लोकतांत्रिक और सुरक्षा संवेदनशीलता
रेल-आधारित मिसाइल लॉन्चिंग क्षमताओं के विकास के साथ साथ यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संचालन पूरी तरह राष्ट्रीय सुरक्षा दिमाग से और जिम्मेदाराना तरीके से किया जाए। किसी भी मोबाइल विशेषाधिकारित हथियार तंत्र की तरह इसके उपयोग, निगरानी और नियंत्रण के स्पष्ट मानक हों, ताकि अप्रत्याशित घटनाओं या गलतफहमी से टकराव का जोखिम कम किया जा सके। साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसी परीक्षण गतिविधियों के बारे में आवश्यक पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय संचार व्यवस्था बनी रहे ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
देश की क्षमताएं और आगे का रास्ता
此次 परीक्षण ने भारत की रक्षा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थाओं तथा उद्योग-संयोजन की क्षमता को दर्शाया है। अग्नि-प्राइम जैसी लंबी दूरी की मिसाइल तथा उसका रेल-आधारित कैनिस्टर लॉन्चर एक साथ देश को रणनीतिक विविधता और तेज परिचालन क्षमता देते हैं। भविष्य में ऐसी प्रणालियों के और आधुनिकीकरण, तैनाती-ऑप्टिमाइज़ेशन और कम समय में मिशन-तैयारी पर काम जारी रहेगा। रक्षा समुदाय, नीति नियोजकों और रेलवे प्रशासन के बीच समन्वय किसी भी सफल परिनियोजन की कुंजी होगा।
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