लोकसभा में राहुल गांधी का तीखा भाषण: सेना की तारीफ, पाकिस्तान पर निशाना, केंद्र पर सवाल

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की नीतियों और ऑपरेशन की रणनीति पर तीखा सवाल उठाया। अपने संबोधन में उन्होंने जहां भारतीय सेना के साहस को सलाम किया, वहीं पाकिस्तान की तीव्र आलोचना की और सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति को कमजोर बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने रात के समय पाकिस्तानी अधिकारियों से संपर्क कर युद्धविराम का संदेश देकर अपने इरादों की कमजोरी जाहिर कर दी।


पहलगाम हमले की निंदा और सेना को सलाम

राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए की। उन्होंने कहा,

"यह हमला क्रूर, अमानवीय और पाकिस्तान प्रायोजित था। निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई — बुजुर्गों और युवाओं की। हम सबने इस सदन में एकजुट होकर पाकिस्तान की निंदा की है।"

उन्होंने कहा कि इस तरह के हमलों से निपटने में भारतीय सेना की भूमिका सर्वोपरि है।

"जब भी मैं सेना के जवानों से मिलता हूं, हाथ मिलाता हूं — मैं जान जाता हूं कि ये असली टाइगर हैं।"


विपक्ष की भूमिका पर दिया जोर

राहुल ने यह स्पष्ट किया कि विपक्ष ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सरकार और सेना का समर्थन किया था। उन्होंने कहा,

"ऑपरेशन शुरू होने से पहले ही विपक्ष की ओर से स्पष्ट कर दिया गया था कि हम सरकार और सेना के साथ हैं। हमने कहीं से कोई विरोध नहीं जताया। भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के सवाल पर हम सब एक हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि कई नेताओं की व्यंग्यात्मक टिप्पणियों के बावजूद विपक्ष ने संयम बरता और राष्ट्रीय एकता का उदाहरण पेश किया।

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राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य स्वतंत्रता का मुद्दा

राहुल गांधी ने अपने भाषण में बार-बार दो शब्दों पर बल दिया — ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ और ‘संचालन की स्वतंत्रता’
उन्होंने उदाहरण दिया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जनरल मानेकशॉ को पूरी स्वतंत्रता दी थी।

"उन्होंने मानेकशॉ से कहा था — 6 महीने, 1 साल, जितना समय चाहिए लो। एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश बना। यह राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रमाण था।"

इसके मुकाबले राहुल ने मौजूदा सरकार की रणनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा,

"राजनाथ सिंह ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर 1.05 बजे शुरू हुआ और 22 मिनट में समाप्त हो गया। लेकिन उसके मात्र 8 मिनट बाद, 1.35 बजे, भारत ने पाकिस्तान को फोन करके बताया कि हम गैर-सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहे हैं और तनाव नहीं बढ़ाना चाहते।"

राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस कदम से स्पष्ट कर दिया कि उसके पास संघर्ष को आगे बढ़ाने की इच्छाशक्ति नहीं है।


‘वायुसेना को रोका गया’ – गंभीर आरोप

राहुल गांधी ने रक्षा विशेषज्ञों और वायुसेना अधिकारियों के हवाले से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पायलटों को पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली पर हमला करने की अनुमति नहीं दी गई।

"यह आदेश स्पष्ट रूप से राजनीतिक नेतृत्व से आया। जब आप वायुसेना से कहें कि हमला मत करो, तो फिर आप युद्ध में क्या जीतने जा रहे हैं? आपने पाकिस्तान में हमला किया, लेकिन अपने पायलटों को हाथ बांधकर भेजा।"

उन्होंने यह भी कहा कि इस पाबंदी के चलते भारत को पांच विमान गंवाने पड़े।

"अगर आपने मेरी बात सुनी होती, तो वो पांच विमान नष्ट नहीं होते।"


चीन की भूमिका का संकेत

राहुल गांधी ने एक चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि पाकिस्तान को भारतीय विमानों की तैनाती की जानकारी चीन के माध्यम से मिली हो सकती है।

"लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के अनुसार, पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के विमान की पहचान की थी और उसे वापस बुलाने को कहा था। यह साफ संकेत है कि उन्हें कहीं से पूर्व जानकारी मिल रही थी — शायद चीन से।"


राष्ट्रीय सुरक्षा पर विपक्ष का नजरिया

राहुल गांधी का यह भाषण भारत की सुरक्षा नीति पर विपक्ष का नजरिया स्पष्ट करता है। उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि जब बात राष्ट्रीय संप्रभुता की हो, तब राजनीतिक मतभेद पीछे छूट जाते हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सैन्य शक्ति का प्रभावी प्रयोग तभी संभव है जब नेतृत्व दृढ़, स्पष्ट और निर्णायक हो।

उन्होंने कहा कि सेना के शौर्य को नमन करने के साथ-साथ सरकार की भूमिका की समीक्षा करना भी लोकतांत्रिक दायित्व है।



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