लखनऊ हाईकोर्ट बेंच ने याचिका की सुनवाई कर किया निस्तारण
लखनऊ। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दायर याचिका पर आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने साफ किया कि यह मामला सीधे केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, और निर्णय भी वही लेगी। कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि याची एस. विग्नेश शिशिर यदि चाहें तो इस मुद्दे पर अन्य वैधानिक विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।
केंद्र सरकार ने नहीं दी स्पष्ट समय-सीमा
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की कि केंद्र सरकार याची की शिकायत पर निर्णय लेने की कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं कर सकी। ऐसे में अदालत में याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं बनता। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को निपटा दिया कि इस प्रकार के मामलों में प्रशासनिक प्रक्रिया पहले पूरी होनी चाहिए और अंतिम निर्णय सरकार ही ले।
याची ने लगाई थी सीबीआई जांच की मांग
याचिकाकर्ता एस. विग्नेश शिशिर ने अपनी अर्जी में यह दावा किया था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी यूनाइटेड किंगडम (यूके) की नागरिकता भी रखते हैं, जो भारतीय कानून के अनुसार भारत की नागरिकता के साथ संगत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दोहरी नागरिकता को लेकर उन्होंने पहले भी दो बार सक्षम प्राधिकरण को शिकायत भेजी, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी के चलते उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली और सीबीआई से मामले की जांच की मांग की।
अदालत ने याची को दिए अन्य वैधानिक विकल्प अपनाने के निर्देश
खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि याची अब अन्य वैधानिक और संवैधानिक माध्यमों से अपनी बात आगे बढ़ा सकते हैं। कोर्ट ने इस आधार पर याचिका को निस्तारित किया कि जब तक केंद्र सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेती, तब तक न्यायिक दखल देना उचित नहीं है।
राहुल गांधी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं
फिलहाल राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी की ओर से इस फैसले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि यह मामला अतीत में भी चर्चा में रहा है जब कुछ नेताओं ने संसद में भी राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर सवाल उठाए थे।
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