नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को सर्वोच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड में चल रहे मानहानि मामले की ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस आदेश को जारी किया और मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद तय की है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2019 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बारे में दिए गए एक विवादास्पद बयान से जुड़ा है। राहुल गांधी ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान यह बयान दिया था कि “एक हत्यारा भी भाजपा का अध्यक्ष बन सकता है, लेकिन यह कांग्रेस में संभव नहीं है।” इस बयान को लेकर भाजपा कार्यकर्ता नवीन झा ने राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड में मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
नवीन झा का आरोप है कि राहुल गांधी ने अपने बयान में भाजपा के खिलाफ कई अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया, जिससे पार्टी और इसके सदस्यों की छवि को नुकसान पहुंचा है। झारखंड के ट्रायल कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया था और राहुल गांधी के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी थी।
झारखंड उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में मामला
राहुल गांधी ने इस मामले को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई करते हुए झारखंड ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी। अदालत ने झारखंड सरकार और शिकायतकर्ता नवीन झा को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और नोटिस जारी किया।
अगली सुनवाई की तारीख
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद करने का आदेश दिया है। यह निर्णय राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण राहत है क्योंकि इससे उन्हें ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही से राहत मिली है। अब झारखंड सरकार और शिकायतकर्ता को जवाब दाखिल करने का समय मिलेगा, और मामले की आगे की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में की जाएगी।
राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी के विवादास्पद बयान पर मानहानि का मुकदमा दर्ज होने के बाद, उन्होंने इसे अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार माना था। राहुल गांधी का कहना था कि उनका उद्देश्य किसी की व्यक्तिगत छवि को नुकसान पहुंचाना नहीं था, बल्कि उन्होंने केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से यह बयान दिया था।
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला राहुल गांधी के पक्ष में आया है, लेकिन यह मामले की और सुनवाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब यह देखना होगा कि झारखंड सरकार और नवीन झा इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हैं या नहीं।
मानहानि के मामले और राजनीतिक बयानबाजी
यह मामला राजनीति में बयानबाजी के बीच मानहानि के मुकदमों की बढ़ती संख्या को भी उजागर करता है। भारत में राजनेताओं के खिलाफ मानहानि के मामलों का लंबा इतिहास रहा है, और ऐसे मामलों में अदालतें अक्सर यह निर्णय करती हैं कि क्या एक बयान व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है या वह सार्वजनिक हित के लिए था।
राहुल गांधी के इस मामले पर अब तक के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने इस बात को स्पष्ट किया है कि इस मामले में आगे की प्रक्रिया को एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से देखा जाएगा।