भोपाल — कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे को जमीनी स्तर से पुनर्जीवित करने की दिशा में राहुल गांधी ने मंगलवार को भोपाल से एक नए अभियान का शंखनाद किया। 'संगठन सृजन अभियान' नाम से शुरू हुए इस मिशन का मकसद न सिर्फ पार्टी को मजबूत करना है, बल्कि उसे आत्मचिंतन और आत्मनिर्माण की राह पर ले जाना भी है।
राजधानी पहुंचते ही राहुल गांधी का जोरदार स्वागत हुआ। राजाभोज एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर था, लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं की ओर से अचानक गाड़ी रोकने की कोशिश में थोड़ी अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने मोर्चा संभाला और राहुल गांधी का काफिला आगे बढ़ा। रास्ते की इस हलचल ने कहीं न कहीं दिखा दिया कि कांग्रेस कार्यकर्ता आज भी अपने नेता से जुड़ाव महसूस करते हैं—बस उन्हें दिशा चाहिए।
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पीसीसी दफ्तर पहुंचते ही राहुल गांधी ने बैठकों का सिलसिला शुरू किया। सुबह 11 बजे से शुरू होकर दोपहर तक चली इन बैठकों में संगठन के कई अहम पहलुओं पर चर्चा हुई—बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं की भागीदारी, अंदरूनी गुटबाज़ी पर लगाम, समर्पित नेतृत्व को तरजीह और जमीनी स्थिति का आकलन। इस मौके पर पीसीसी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की बैठक भी हुई जिसमें नकुलनाथ को छोड़कर सभी प्रमुख नेता शामिल हुए।
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इस अभियान के तहत कांग्रेस ने देशभर से 61 वरिष्ठ ऑब्जर्वरों की फौज मध्य प्रदेश में उतारी है। ये नेता न सिर्फ पार्टी की नब्ज टटोलेंगे, बल्कि जिले-जिले जाकर रिपोर्ट तैयार करेंगे कि कहां सुधार की ज़रूरत है और कौन से चेहरे संगठन को नई दिशा दे सकते हैं। यह प्रयोगात्मक मॉडल पहले गुजरात में शुरू हुआ था और अब मध्य प्रदेश इसकी अगली प्रयोगशाला बन गया है।
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राहुल गांधी का यह दौरा भले ही केवल छह घंटे का हो, लेकिन इसकी गूंज लंबे समय तक पार्टी की रणनीति में सुनाई दे सकती है। दोपहर बाद वे रवीन्द्र भवन में आयोजित जिलाध्यक्षों और ब्लॉक अध्यक्षों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे। इस संवाद में वे संगठन के हर स्तर से सीधे बात करेंगे—और शायद यही कांग्रेस की सबसे बड़ी ज़रूरत है: नेतृत्व का सीधा संवाद।
राहुल गांधी का यह दौरा चुनावी रैली या भाषण के बजाय आत्ममंथन और पुनर्निर्माण की पहल है। शायद पार्टी को अब भाषणों से ज़्यादा ज़रूरत है एक सुनने वाले नेता की—जो संगठन की बात सुने, ज़मीनी कार्यकर्ताओं को पहचाने और उन्हें नेतृत्व में शामिल करे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए यह अभियान एक अवसर है—सिर्फ चुनाव जीतने का नहीं, बल्कि खुद को फिर से गढ़ने का।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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