सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा – “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा न कहते”, सेना पर टिप्पणी मामले में फटकार
भारतीय सेना पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली है। अदालत ने राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे और कहा कि अगर वे वास्तव में “सच्चे भारतीय” हैं, तो उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए थे।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा – “क्या आप वहां थे?”
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राहुल गांधी से पूछा –
“आपने कैसे कहा कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया है? क्या आप खुद वहां थे? क्या आपके पास कोई ठोस और विश्वसनीय सबूत है?”
कोर्ट का कहना था कि इस तरह के गंभीर आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पुष्टि बेहद जरूरी है, खासकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना से जुड़ी हो।
🗨️ ‘संसद में कहिए, सोशल मीडिया पर नहीं’ – सुप्रीम कोर्ट की नसीहत
शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी को स्पष्ट निर्देश दिया कि एक विपक्ष के नेता के रूप में उन्हें अपनी बात संसद के मंच पर उठानी चाहिए, न कि सोशल मीडिया या यात्रा के दौरान।
दरअसल, यह मामला राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना को लेकर की गई कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसे लेकर उत्तर प्रदेश में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसी समन आदेश को राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
⚖️ राहुल गांधी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने किया बचाव
राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया:
“अगर विपक्ष के नेता मीडिया में छपी रिपोर्टों का हवाला नहीं दे सकते, तो उन्हें विपक्ष का नेता होने का हक नहीं है।”
“यह भी तो संभव है कि एक सच्चा भारतीय यह कहे कि हमारे 20 सैनिकों को मारा गया — यह भी चिंता का विषय है।”
इस पर अदालत ने कहा कि सीमा पर संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य नहीं है और ऐसे मुद्दों को जिम्मेदारी से उठाना चाहिए।
📌 ‘एक जिम्मेदार विपक्ष नेता को संयम दिखाना चाहिए’ – कोर्ट
जस्टिस दत्ता ने कहा कि एक वरिष्ठ नेता और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के नाते, राहुल गांधी को सार्वजनिक मंच से इस तरह की संवेदनशील टिप्पणियों से बचना चाहिए था।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मुद्दों को उचित संसदीय मंच पर उठाया जा सकता है, जहां तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर बहस हो सके।
📜 सिंघवी का दूसरा तर्क – ‘पूर्व सुनवाई जरूरी थी’
राहुल गांधी के वकील ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि समन जारी करने से पहले आरोपी को सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए, जो इस मामले में नहीं दिया गया। उन्होंने इस शिकायत को दुर्भावना से प्रेरित बताया।
✅ सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को अंतरिम राहत
इस पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फिलहाल राहत दे दी है। शीर्ष अदालत ने स्थानीय अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है।
बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
📝 शिकायतकर्ता ने क्या आरोप लगाए?
शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि दिसंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भारतीय सेना के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जो देश की सुरक्षा और गरिमा के खिलाफ हैं।
इसके आधार पर उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने राहुल गांधी को समन जारी किया था।
📌 राहुल गांधी के अधिवक्ता का तर्क – लखनऊ निवासी नहीं, समन नहीं बनता
राहुल गांधी के वकील प्रांशु अग्रवाल ने तर्क दिया कि:
राहुल गांधी लखनऊ के निवासी नहीं हैं,
आरोप प्रथम दृष्टया सही नहीं लगते,
कोर्ट को पहले सत्यता की जांच करनी चाहिए थी।
🔍
सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में राहुल गांधी को चेतावनी के साथ-साथ कुछ राहत भी दी है। कोर्ट का संदेश स्पष्ट है — राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर बयानबाजी से बचें और जिम्मेदार प्रतिनिधि की तरह व्यवहार करें।
अब अगली सुनवाई में तय होगा कि यह मामला आगे बढ़ेगा या यहीं समाप्त होगा।
सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी: “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा न कहते” – सेना पर टिप्पणी मामले में राहुल गांधी को झटका, कार्यवाही पर फिलहाल रोक
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा – “सच्चे भारतीय होते तो ऐसा न कहते”, सेना पर टिप्पणी मामले में फटकार
भारतीय सेना पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली है। अदालत ने राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे और कहा कि अगर वे वास्तव में “सच्चे भारतीय” हैं, तो उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए थे।
🏛️ सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा – “क्या आप वहां थे?”
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राहुल गांधी से पूछा –
कोर्ट का कहना था कि इस तरह के गंभीर आरोप लगाने से पहले तथ्यों की पुष्टि बेहद जरूरी है, खासकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा और सेना से जुड़ी हो।
🗨️ ‘संसद में कहिए, सोशल मीडिया पर नहीं’ – सुप्रीम कोर्ट की नसीहत
शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी को स्पष्ट निर्देश दिया कि एक विपक्ष के नेता के रूप में उन्हें अपनी बात संसद के मंच पर उठानी चाहिए, न कि सोशल मीडिया या यात्रा के दौरान।
दरअसल, यह मामला राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सेना को लेकर की गई कथित टिप्पणी से जुड़ा है, जिसे लेकर उत्तर प्रदेश में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसी समन आदेश को राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
⚖️ राहुल गांधी की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने किया बचाव
राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया:
इस पर अदालत ने कहा कि सीमा पर संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों में हताहत होना असामान्य नहीं है और ऐसे मुद्दों को जिम्मेदारी से उठाना चाहिए।
📌 ‘एक जिम्मेदार विपक्ष नेता को संयम दिखाना चाहिए’ – कोर्ट
जस्टिस दत्ता ने कहा कि एक वरिष्ठ नेता और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि होने के नाते, राहुल गांधी को सार्वजनिक मंच से इस तरह की संवेदनशील टिप्पणियों से बचना चाहिए था।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मुद्दों को उचित संसदीय मंच पर उठाया जा सकता है, जहां तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर बहस हो सके।
📜 सिंघवी का दूसरा तर्क – ‘पूर्व सुनवाई जरूरी थी’
राहुल गांधी के वकील ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 का हवाला देते हुए कहा कि समन जारी करने से पहले आरोपी को सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए, जो इस मामले में नहीं दिया गया। उन्होंने इस शिकायत को दुर्भावना से प्रेरित बताया।
✅ सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को अंतरिम राहत
इस पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फिलहाल राहत दे दी है। शीर्ष अदालत ने स्थानीय अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है।
बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
📝 शिकायतकर्ता ने क्या आरोप लगाए?
शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि दिसंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भारतीय सेना के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं, जो देश की सुरक्षा और गरिमा के खिलाफ हैं।
इसके आधार पर उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने राहुल गांधी को समन जारी किया था।
📌 राहुल गांधी के अधिवक्ता का तर्क – लखनऊ निवासी नहीं, समन नहीं बनता
राहुल गांधी के वकील प्रांशु अग्रवाल ने तर्क दिया कि:
🔍
सुप्रीम कोर्ट ने इस संवेदनशील मामले में राहुल गांधी को चेतावनी के साथ-साथ कुछ राहत भी दी है। कोर्ट का संदेश स्पष्ट है — राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर बयानबाजी से बचें और जिम्मेदार प्रतिनिधि की तरह व्यवहार करें।
अब अगली सुनवाई में तय होगा कि यह मामला आगे बढ़ेगा या यहीं समाप्त होगा।
More Posts
विश्व चैंपियनशिप ट्रायल्स में अंतिम का दमदार प्रदर्शन, विवादों से उबरकर टीम इंडिया में बनाई जगह
धराली आपदा का दूसरा दिन: बादल फटने से तबाही जारी, मृतक संख्या 7 पहुंची, कल्प केदार मंदिर ध्वस्त, सेना के जवान लापता, गंगोत्री यात्रा स्थगित
धर्म को जीवन का मूल मानने वाला समाज ही स्थायी शांति की ओर बढ़ता है: डॉ. मोहन भागवत