ट्रंप टैरिफ के बीच भारत दौरे पर आएंगे पुतिन, डोभाल बोले - रणनीतिक साझेदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता

नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ के फैसले के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संभावित भारत दौरे की खबर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक हलकों में हलचल बढ़ा दी है। इस दौरे की जानकारी स्वयं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने रूस यात्रा के दौरान दी। डोभाल ने इस दौरे को भारत-रूस के बीच ऐतिहासिक और गहरे संबंधों का प्रतीक बताया है और कहा है कि राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा की तारीखें लगभग तय हो चुकी हैं।

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पुतिन का दौरा ऐसे समय में जब ट्रंप भारत से नाराज

गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने का ऐलान किया था। ट्रंप ने भारत के खिलाफ यह कार्रवाई इसलिए की, क्योंकि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद को जारी रखा है। ट्रंप ने यह कदम एकतरफा और सख्त लहजे में उठाया है, जिससे भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में असहजता देखी जा रही है।

ऐसे संवेदनशील समय में राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा न केवल भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि यह अमेरिका को भी स्पष्ट संदेश देगा कि भारत अपने रणनीतिक हितों के मामले में स्वतंत्र और आत्मनिर्भर रुख रखता है।

डोभाल बोले – रणनीतिक साझेदारी को देते हैं सर्वोच्च प्राथमिकता

अजित डोभाल ने रूस में अपने वक्तव्य में कहा, "भारत और रूस के संबंध केवल राजनयिक नहीं हैं, बल्कि ये एक ऐतिहासिक और गहरे विश्वास पर आधारित साझेदारी हैं। राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा को लेकर हम बेहद उत्साहित हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि, "हमारी रणनीतिक साझेदारी के तहत उच्च-स्तरीय बैठकें लगातार होती रही हैं, और इन बैठकों ने आपसी सहयोग को कई मोर्चों पर विस्तार दिया है – चाहे वह रक्षा हो, ऊर्जा, विज्ञान या अंतरिक्ष। पुतिन की यह यात्रा इस दिशा में एक नया अध्याय जोड़ेगी।"

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भारत-रूस संबंध: दशकों पुरानी मित्रता

भारत और रूस (पूर्ववर्ती सोवियत संघ) के बीच संबंधों की नींव 1950 के दशक में पड़ी थी। रक्षा सौदों, अंतरिक्ष अनुसंधान, तेल-गैस जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग ऐतिहासिक रहा है। रूस भारत को सबसे अधिक रक्षा उपकरणों की आपूर्ति करने वाला देश है, और ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई लड़ाकू विमान जैसे संयुक्त परियोजनाएं इस सहयोग की मिसाल हैं।

हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ भी अपने संबंध मजबूत किए हैं, लेकिन रूस के साथ संबंधों में कभी भी दरार नहीं आई। यहां तक कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भी भारत ने संतुलित रुख अपनाया और अपनी ऊर्जा सुरक्षा को देखते हुए रूस से कच्चे तेल की खरीद को जारी रखा।

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अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की स्वतंत्र नीति का संकेत

राष्ट्रपति पुतिन का यह प्रस्तावित दौरा भारत की स्वतंत्र और बहुपक्षीय विदेश नीति को भी दर्शाता है। एक ओर अमेरिका के साथ संबंधों में खिंचाव है, दूसरी ओर भारत रूस के साथ संबंधों को मजबूती दे रहा है। यह संकेत है कि भारत अब किसी भी दबाव में निर्णय नहीं लेता, बल्कि अपनी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार नीति बनाता है।

आने वाले समय में किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

पुतिन की यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण, यूक्रेन युद्ध पर भारत की भूमिका, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्थानीय मुद्रा में लेन-देन (रुपया-रूबल व्यवस्था), और ब्रिक्स जैसे मंचों पर सहयोग जैसे विषयों पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है।

इस यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, जिनमें रक्षा उपकरणों की आपूर्ति, साझा सैन्य अभ्यास, अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग और ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश जैसे क्षेत्र प्रमुख रहेंगे।



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