- अस्पताल के दो डॉक्टरों—डॉ. अजय टावरे और डॉ. श्रीहरि हल्नोर—के लाइसेंस निलंबित कर दिए
मुंबई/पुणे। पुणे के बहुचर्चित पोर्श हादसे में न्याय में रुकावट डालने की कोशिश करने वाले डॉक्टरों पर अब गाज गिर चुकी है। महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) ने सोमवार को ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों—डॉ. अजय टावरे और डॉ. श्रीहरि हल्नोर—के लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने उस नाबालिग आरोपी के खून के नमूने में जानबूझकर हेरफेर की, जो तेज़ रफ्तार पोर्श से दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जान लेकर फरार हुआ था।
आरोपी किशोर का खून नहीं, उसकी मां का सैंपल भेजा गया!
जांच में खुलासा हुआ कि डॉक्टरों ने शराब के प्रभाव की पुष्टि से बचाने के लिए किशोर के स्थान पर उसकी मां का ब्लड सैंपल भेजा। इस गंभीर लापरवाही और साजिश को एमएमसी ने गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान में लिया और कार्रवाई की। दोनों डॉक्टरों से पहले जवाब-तलब किया गया और अब प्रोफेशनल कदाचार के चलते उनका मेडिकल प्रैक्टिस लाइसेंस सस्पेंड कर दिया गया है।
पुलिसकर्मियों पर भी गिरी गाज
इस केस में शामिल रहे येरवडा थाने के इंस्पेक्टर राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका था। अब पुणे पुलिस ने गृह विभाग को इनकी बर्खास्तगी की सिफारिश भेज दी है। आरोप है कि इन्होंने केस दर्ज करने में देरी की, मौके पर पहुंचने में लापरवाही की और सबसे अहम – ब्लड सैंपल लेने में जानबूझकर समय गंवाया।
कैसे हुआ था हादसा?
19 मई 2024 की सुबह पुणे के कल्याणी नगर इलाके में एक 17 वर्षीय किशोर की पोर्श कार ने दो बाइकर IT टेक्नीशियनों को कुचल दिया था। हादसे के वक्त वह शराब के नशे में बताया गया था, लेकिन केस को दबाने के लिए कई स्तरों पर छेड़छाड़ हुई। इस हादसे ने देशभर में गुस्से की लहर दौड़ा दी थी।
अभी कौन है जेल में?
इस केस में आरोपी किशोर को फिलहाल निगरानी गृह से रिहा कर दिया गया है, लेकिन उसके माता-पिता, दोनों डॉक्टर, ससून अस्पताल का एक स्टाफ सदस्य, दो बिचौलिए और तीन अन्य अब भी जेल में हैं। मामले की जांच कई स्तरों पर जारी है और प्रशासन पर दबाव है कि वह उदाहरण बने ऐसी कार्रवाई करे।
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