राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गयाजी में किया पिंडदान, पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना

पटना/गया, 20 सितंबर (हि.स.)।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को बिहार की मोक्षनगरी गयाजी में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना के लिए पारंपरिक पिंडदान अनुष्ठान किया। यह पहला अवसर था जब राष्ट्रपति के रूप में वे गयाधाम पहुंचीं और विधि-विधान से पिंडदान संपन्न किया।

विष्णुपद मंदिर में पिंडदान

राष्ट्रपति मुर्मु सुबह करीब 9 बजे गया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर विशेष विमान से पहुंचीं। वहां से वे सड़क मार्ग से सीधे विश्वप्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर पहुंचीं। मंदिर परिसर में उनके पिंडदान के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी।

उन्होंने मंदिर परिसर स्थित तीन प्रमुख पिंडवेदियों पर विधिपूर्वक पिंडदान किया। इस अवसर पर उनके परिजन भी मौजूद थे। धार्मिक अनुष्ठान और वैदिक मंत्रोच्चार की अगुवाई गयापाल पुरोहित राजेश लाल कटरियार ने की। लगभग दो घंटे तक चली इस पूरी प्रक्रिया के दौरान राष्ट्रपति ने अपने पूर्वजों की आत्मा की मुक्ति और कुल कल्याण की कामना की।

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विशेष इंतजाम और सुरक्षा

राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए जिला प्रशासन ने विष्णुपद मंदिर परिसर में एल्युमिनियम फैब्रिकेटेड हॉल बनवाया, जिसमें तीन विशेष कक्ष तैयार किए गए थे। इनमें से एक कक्ष में राष्ट्रपति और उनके परिजनों ने पिंडदान किया।

पूरे मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। आम लोगों के आवागमन को कुछ समय के लिए रोका गया और कई मार्गों पर बैरिकेडिंग लगाई गई। यातायात व्यवस्था में बदलाव करते हुए निर्धारित मार्गों पर आम वाहनों का परिचालन बंद रखा गया।

इस दौरान बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी राष्ट्रपति के साथ उपस्थित रहे।

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पितृपक्ष मेले के बीच राष्ट्रपति का आगमन

राष्ट्रपति का यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब गयाजी में विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला अपने चरम पर है। यह मेला इस समय अपने 15वें दिन में है और 21 सितंबर तक चलेगा।

पितृपक्ष मेले का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। मान्यता है कि इस अवधि में गयाजी आकर पिंडदान करने से पिंडदानी के 21 कुलों का उद्धार होता है। विशेष रूप से वैतरणी सरोवर पर तर्पण और गौ-दान को बेहद शुभ माना जाता है।

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गयाजी का धार्मिक महत्व

गयाजी का उल्लेख कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने यहां राक्षस गया असुर का वध किया था और उसकी स्मृति में यहां विष्णुपद मंदिर की स्थापना हुई।

हिंदू धर्म के अनुसार, गयाजी में किया गया पिंडदान आत्मा को मोक्ष प्रदान करता है और पूर्वजों की आत्मा स्वर्गलोक को प्राप्त करती है। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु पितृपक्ष मेले में शामिल होकर अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए पिंडदान करते हैं।

राष्ट्रपति का धार्मिक और आध्यात्मिक संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का यह पिंडदान केवल एक व्यक्तिगत धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि समाज के लिए एक आध्यात्मिक संदेश भी है। उन्होंने दिखाया कि चाहे कोई कितना भी बड़ा पद पर क्यों न हो, अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।