राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल में भरी ऐतिहासिक उड़ान, बनीं देश की पहली महिला राष्ट्रपति जो राफेल में बैठीं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार सुबह भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। वह देश की पहली महिला राष्ट्रपति बन गई हैं जिन्होंने राफेल विमान में उड़ान भरी। सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर वह विशेष विमान से हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंचीं, जहां उनका भव्य स्वागत एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने किया। राष्ट्रपति ने वायुसेना के परेड ग्राउंड पर जवानों का अभिवादन स्वीकार किया और गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने फ्लाइट सूट पहनकर राफेल में बैठते समय हाथ हिलाकर सभी को अभिवादन किया, जो एक ऐतिहासिक क्षण बन गया।

सख्त सुरक्षा इंतजाम और विशेष व्यवस्था

राष्ट्रपति के दौरे के दौरान एयरफोर्स स्टेशन और उसके आसपास के इलाके में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह पाबंदी थी, और केवल अधिकृत अधिकारियों को ही परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गई थी। सुरक्षा कारणों से किसी को मोबाइल फोन अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी गई।

अंबाला एयरबेस भारतीय वायुसेना का सबसे महत्वपूर्ण अड्डा है, जहां राफेल लड़ाकू विमानों का प्रमुख स्क्वॉड्रन “गोल्डन एरोज़” तैनात है। राष्ट्रपति मुर्मू ने उड़ान से पहले राफेल की तकनीक, उसकी कार्यप्रणाली और सुरक्षा विशेषताओं के बारे में अधिकारियों से विस्तार से जानकारी ली।

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राफेल उड़ान के बाद राष्ट्रपति का अनुभव

राफेल उड़ान के बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने वायुसेना के अधिकारियों और जवानों से बातचीत की। उन्होंने देश की सीमाओं की सुरक्षा में वायुसेना की भूमिका को सराहा और कहा कि यह अनुभव उनके लिए गर्व का विषय है। उन्होंने इस मौके पर महिलाओं की भागीदारी को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण केवल समाज के विकास के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी आवश्यक है।

इससे पहले भी भरी थी सुखोई में उड़ान

यह पहली बार नहीं है जब राष्ट्रपति मुर्मू ने किसी लड़ाकू विमान में उड़ान भरी हो। इससे पहले 7 अप्रैल 2023 को उन्होंने असम के तेजपुर एयरफोर्स स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट में उड़ान भरी थी। वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं जिन्होंने सुखोई में उड़ान भरी — उनसे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने यह अनुभव प्राप्त किया था।

तेजपुर की उड़ान के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने करीब 30 मिनट तक आसमान में उड़ान भरी थी। उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी और तेजपुर घाटी का नजारा लिया था। इस उड़ान के दौरान विमान समुद्र तल से करीब 2 किलोमीटर की ऊंचाई पर और लगभग 800 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहा था। इस विमान को 106 स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन नवीन कुमार ने उड़ाया था।

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भारत में राफेल का इतिहास और महत्व

राफेल लड़ाकू विमानों को भारत ने फ्रांस से खरीदा है। 27 जुलाई 2020 को भारत को राफेल विमानों की पहली खेप मिली थी, जिसमें 5 विमान शामिल थे। इन विमानों ने फ्रांस के मेरिग्नैक एयरबेस से उड़ान भरकर संयुक्त अरब अमीरात के अल दफरा एयरबेस पर रुके और फिर अंबाला एयरबेस पहुंचे। 10 सितंबर 2020 को अंबाला में इन विमानों का औपचारिक स्वागत किया गया। समारोह में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली मौजूद थीं।

इन राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना की 17वीं स्क्वॉड्रन “गोल्डन एरोज़” में शामिल किया गया था। राफेल दुनिया के सबसे अत्याधुनिक मल्टीरोल फाइटर जेट्स में से एक है, जो वायु, भूमि और समुद्र — तीनों दिशाओं में युद्ध करने की क्षमता रखता है। यह परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है और अत्याधुनिक रडार सिस्टम, हथियार नियंत्रण और तेज गति इसकी विशेषताएं हैं।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी राफेल में उड़ान भर चुके हैं। उनके बाद राष्ट्रपति मुर्मू का इस विमान में उड़ान भरना भारत की सैन्य शक्ति और महिला नेतृत्व के सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।

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महिला नेतृत्व और सैन्य सशक्तिकरण का प्रतीक

राष्ट्रपति मुर्मू का यह कदम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक संदेश भी है — कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं। उनके इस ऐतिहासिक उड़ान ने वायुसेना की महिला पायलटों और देशभर की युवतियों के मन में नई ऊर्जा का संचार किया है।

यह उड़ान राष्ट्र के आत्मविश्वास और रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन है, जिसने यह साबित किया है कि भारत न केवल आधुनिक तकनीक में आगे है, बल्कि महिला नेतृत्व के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों को छू रहा है।