Trending News

March 14, 2025 12:37 AM

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने त्रिवेणी संगम में लगाई आस्था की पवित्र डुबकी, सनातन परंपरा को दिया मजबूती का संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने त्रिवेणी संगम में लगाई आस्था की डुबकी,

प्रयागराज। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को ऐतिहासिक महाकुंभ मेले के अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज पहुंचीं और त्रिवेणी संगम में आस्था की पवित्र डुबकी लगाई। इस ऐतिहासिक मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया।

राष्ट्रपति का संगम स्नान: सनातन परंपरा को सम्मान

राष्ट्रपति मुर्मू ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर सनातन आस्था और भारतीय परंपरा को मजबूत आधार प्रदान किया। इस दौरान संगम तट पर मौजूद हजारों श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने इस शुभ अवसर का साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। राष्ट्रपति का संगम में स्नान करना भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है।

प्रार्थना और पूजा-अर्चना

पवित्र स्नान के बाद, राष्ट्रपति मुर्मू ने संगम तट पर खड़े होकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों की संयुक्त धारा की प्रार्थना की। उन्होंने देश की सुख-समृद्धि और शांति के लिए विशेष प्रार्थना की। उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस पूजा-अर्चना में शामिल हुए।

अक्षयवट और हनुमान मंदिर के दर्शन

राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, स्नान के पश्चात राष्ट्रपति मुर्मू प्रयागराज स्थित पौराणिक अक्षयवट और हनुमान मंदिर के दर्शन करने पहुंचीं। यह स्थान हिंदू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। अक्षयवट को अमर वृक्ष माना जाता है और इसकी धार्मिक मान्यता अत्यंत प्राचीन है। हनुमान मंदिर, जहां भगवान हनुमान की लेटी हुई विशाल मूर्ति विराजमान है, श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

डिजिटल कुंभ अनुभव केंद्र का अवलोकन

इसके बाद राष्ट्रपति ने कुंभ मेले में स्थापित डिजिटल कुंभ अनुभव केंद्र का भी दौरा किया। इस केंद्र में अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से भक्तों और पर्यटकों को कुंभ मेले के इतिहास, आध्यात्मिकता और संस्कृति की विस्तृत जानकारी दी जाती है। यह केंद्र कुंभ मेले के महत्व को आधुनिक तकनीक के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का अनूठा प्रयास है।

महाकुंभ 2025 की भव्यता और विशेषताएँ

महाकुंभ 2025, 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर संपन्न होगा। यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु एवं संत-महात्मा शामिल होते हैं। प्रयागराज का महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित किया जाता है, जबकि हर 6 साल में अर्धकुंभ मनाया जाता है।

राष्ट्रपति की यात्रा का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की इस यात्रा से महाकुंभ मेले की गरिमा और महत्व को और अधिक बल मिला है। उनकी संगम में आस्था की डुबकी और मंदिरों के दर्शन भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं के प्रति उनकी गहरी निष्ठा को दर्शाते हैं। यह यात्रा श्रद्धालुओं और संतों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी।

राष्ट्रपति मुर्मू की इस आध्यात्मिक यात्रा ने पूरे देश में सनातन आस्था और भारतीय संस्कृति को एक नई ऊंचाई दी है। इससे न केवल भारतीय परंपराओं का प्रचार-प्रसार हुआ है, बल्कि देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं में भी एक नया उत्साह और श्रद्धा का भाव जागृत हुआ है।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram