पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंताजनक खबरें सामने आईं। प्रशांत किशोर को सोमवार रात अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण पटना के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया। अस्पताल में भर्ती होने के बाद, मेदांता अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. रविशंकर ने बताया कि प्रशांत किशोर की हालत स्थिर है, हालांकि आज पूरे दिन उनकी जांच की जाएगी और शाम तक उनकी स्थिति के बारे में अधिक जानकारी दी जाएगी। डॉक्टरों ने बताया कि ठंड के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है और इसके लिए सभी जरूरी जांच की जा रही हैं।
अनशन और आंदोलन में स्वास्थ्य खराब होना
प्रशांत किशोर पिछले 6 दिनों से गांधी मैदान में बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर छात्रों के साथ अनशन पर बैठे हुए थे। उनकी हालत इस दौरान लगातार बिगड़ती जा रही थी। प्रशांत किशोर ने यह आंदोलन अभ्यर्थियों के साथ मिलकर शुरू किया था, ताकि बिहार के युवाओं की परेशानियों को उजागर किया जा सके और बीपीएससी परीक्षा के संचालन में जो भी खामियां थीं, उन्हें सुधारने का दबाव बनाया जा सके।
सोमवार को प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें छोड़ दिया गया। गिरफ्तारी के बाद, प्रशांत किशोर की स्थिति और भी नाजुक हो गई और रात होते-होते उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। इसके बाद उन्हें तत्काल मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मेदांता अस्पताल में इलाज और जांच
मेदांता अस्पताल के डॉक्टर्स ने बताया कि प्रशांत किशोर का स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है, लेकिन फिलहाल उनकी जांच की जा रही है और शाम तक उनकी हालत के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। डॉ. रविशंकर ने यह भी कहा कि ठंड के कारण उनकी तबीयत बिगड़ी है, लेकिन इलाज के बाद उनकी स्थिति में सुधार होने की संभावना है। अस्पताल में भर्ती होने के बाद से उनकी स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है और उन्हें सभी तरह की चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं।
प्रशांत किशोर की भूमिका और आंदोलन
प्रशांत किशोर ने बिहार की राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई है और जन सुराज आंदोलन के जरिए वे सामाजिक और राजनीतिक बदलाव की दिशा में काम कर रहे हैं। बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की उनकी मांग बिहार के युवाओं के बीच काफी चर्चित हुई है, क्योंकि इस परीक्षा के आयोजन में अभ्यर्थियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को लेकर बिहार सरकार और बीपीएससी पर दबाव बनाने के लिए आंदोलन किया था।
उनकी इस लड़ाई को लेकर युवाओं में एकजुटता देखी गई है, और प्रशांत किशोर का यह आंदोलन न सिर्फ बिहार के छात्रों के लिए बल्कि पूरे राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
आंदोलन के बीच में स्वास्थ्य बिगड़ना
प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य बिगड़ने की खबर उनके समर्थकों और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। हालांकि, डॉक्टरों ने बताया कि उनकी स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है, फिर भी प्रशांत किशोर के अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनके समर्थक और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उनके स्वास्थ्य के लिए चिंता जाहिर कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर का आंदोलन और उनके स्वास्थ्य के बिगड़ने की घटना बिहार की राजनीति में एक अहम मोड़ पर आई है। यह देखना होगा कि इस घटना के बाद बीपीएससी की परीक्षा को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं और क्या प्रशांत किशोर के आंदोलन को और समर्थन मिलता है। फिलहाल, उनकी स्थिति स्थिर है, और अस्पताल द्वारा की जा रही जांच से जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।