- मुख्य पूजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाग लिया
- भगवान श्रीराम के दरबार की भव्य प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक सम्पन्न हुई
- मूर्तियों की आंखों से पट्टी हटाई गई और आईना दिखाकर प्राण प्रतिष्ठा की पूर्णता घोषित की गई
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि पर श्रद्धा और आस्था की नई अभिव्यक्ति के रूप में राम मंदिर के प्रथम तल पर भगवान श्रीराम के दरबार की भव्य प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक सम्पन्न हुई। मुख्य पूजन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाग लिया। अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11:25 से 11:40 बजे तक चले इस अनुष्ठान में मंत्रोच्चारण के साथ मूर्तियों की आंखों से पट्टी हटाई गई और आईना दिखाकर प्राण प्रतिष्ठा की पूर्णता घोषित की गई।
भव्य मूर्तियां और अमूल्य दान
राम दरबार की मूर्तियां मकराना के चुनिंदा सफेद संगमरमर से जयपुर में बनाई गईं हैं। सिंहासन पर भगवान श्रीराम और माता सीता विराजमान हैं, जबकि भरत और हनुमान उनके चरणों के समीप बैठे हैं। लक्ष्मण और शत्रुघ्न खड़े हैं। मूर्तियों की कुल ऊंचाई सिंहासन सहित सात फीट है। सबसे विशेष बात रही राम दरबार को अर्पित किए गए बहुमूल्य आभूषण। सूरत के उद्यमी मुकेश पटेल ने एक हजार कैरेट हीरा, 300 ग्राम सोना, 30 किलो चांदी और 300 कैरेट रूबी से सजे 11 मुकुट और अन्य आभूषण दान किए। इन गहनों में कानों के कुंडल, गले का हार, माथे का तिलक और चारों भाइयों के लिए धनुष-बाण शामिल हैं। ये रत्नजड़ित आभूषण विशेष चार्टर्ड फ्लाइट से अयोध्या भेजे गए और ट्रस्ट को औपचारिक रूप से सौंपे गए।
#WATCH अयोध्या (यूपी): यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर में पूजा की। pic.twitter.com/PJo9Q89EFw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 5, 2025
6 अन्य मंदिरों में भी प्राण प्रतिष्ठा
राम दरबार के साथ-साथ मंदिर के परकोटे में स्थित छह अन्य देवालयों—शिव, गणेश, हनुमान, सूर्य, भगवती और अन्नपूर्णा माता—में भी प्राण प्रतिष्ठा की गई। इन देवताओं की मूर्तियों का विशेष अभिषेक और हवन कार्यक्रम बुधवार को आयोजित किया गया। समारोह में 350 विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित किया गया, जिनमें प्रमुख साधु-संत, ट्रस्ट पदाधिकारी और धार्मिक विद्वान शामिल थे।
यज्ञ, अभिषेक और परिसर भ्रमण
प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पूर्व बुधवार सुबह यज्ञमंडप में दो घंटे तक देव पूजन, हवन और अभिषेक सम्पन्न हुआ। उत्सव मूर्तियों को चांदी की चौकी पर सुसज्जित कर पालकी में पूरे मंदिर परिसर का भ्रमण कराया गया।
स्थापत्य और विज्ञान का संगम
राम दरबार की मूर्तियों का निर्माण केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और स्थापत्य शास्त्र के अनुसार हुआ है। मूर्तिकार सत्य नारायण पांडेय ने बताया कि संगमरमर की चयनित शिला 40 साल पुरानी है, जिसे छह माह तक खोजा गया। इसके बाद आईआईटी हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने शिला की गहन जांच की—ताकत, घर्षण क्षमता, नमी सोखने की दर और तापमान सहनशीलता जैसे परीक्षणों के बाद ही निर्माण को स्वीकृति दी गई।
एक हजार वर्षों तक टिकेगा राम दरबार
विशेषज्ञों का दावा है कि यह संगमरमर की मूर्ति एक हजार वर्षों तक सुरक्षित रह सकेगी। मूर्तियों की दीप्ति समय के साथ बढ़ती जाएगी क्योंकि यह पत्थर जितना धोया जाएगा, उतना अधिक चमकेगा। अयोध्या का यह अध्याय न केवल धार्मिक आस्था की ऊँचाई को छूता है, बल्कि भारतीय शिल्पकला, विज्ञान और भक्तिपथ के अद्वितीय संगम को भी प्रदर्शित करता है।
प्रभु राम, मां सीता सहित चारों भाई के आभूषण

