कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का शनिवार को रोम में गहन श्रद्धा और भावुकता के माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें वेटिकन सिटी के ऐतिहासिक सेंट पीटर्स बेसिलिका चर्च में दफनाया गया, जहां कई पूर्व पोप्स भी विश्राम कर रहे हैं। उनके मकबरे पर केवल एक शब्द खुदवाया गया — ‘Francescus’ — जो उनके साधारण और विनम्र व्यक्तित्व का प्रतीक है।
पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार समारोह में दुनियाभर से ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु उमड़े। लोग घंटों तक चर्च प्रांगण में कतारों में खड़े रहे, मोमबत्तियाँ जलाकर और प्रार्थना करते हुए अपने प्रिय धर्मगुरु को अंतिम विदाई दी। रोमन कैथोलिक परंपराओं के अनुसार पूरी विधि-विधान से अंतिम संस्कार संपन्न हुआ।
दुनियाभर से पहुँचीं प्रमुख हस्तियाँ
पोप फ्रांसिस के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए विश्व के कई देशों के नेता और राजघरानों के सदस्य भी वेटिकन पहुंचे।
प्रमुख उपस्थितियाँ इस प्रकार रहीं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप, साथ ही पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन शामिल हुए।
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने श्रद्धांजलि दी।
- ब्रिटेन से प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और प्रिंस विलियम भी उपस्थित रहे।
- यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने भी पोप फ्रांसिस को अंतिम सम्मान दिया।
- इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इतालवी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
- ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा भी पहुंचे।
- अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माईली, जो पहले पोप फ्रांसिस के आलोचक रहे थे, ने भी उपस्थिति दर्ज कराई।
- भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और पोप को श्रद्धांजलि अर्पित की।


राजघरानों से भी दी गई विदाई
- स्पेन के राजा फेलिपे और रानी लेटिज़िया,
- बेल्जियम के राजा फिलिप और रानी मैथिल्डे,
- डेनमार्क की रानी मैरी,
- लक्समबर्ग के ग्रैंड ड्यूक हेनरी और ग्रैंड डचेस मारिया थेरेसा,
- मोनाको के प्रिंस अल्बर्ट और प्रिंसेस शार्लीन ने भी अंतिम संस्कार में भाग लिया।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी
- संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस,
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस,
- विश्व चर्च परिषद के महासचिव जेरी पिल्ले,
- और कैंटरबरी के आर्कबिशप जस्टिन वेल्बी ने भी इस ऐतिहासिक क्षण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस ऐतिहासिक आयोजन ने फिर एक बार यह सिद्ध कर दिया कि पोप फ्रांसिस न केवल ईसाई समुदाय के, बल्कि समूचे विश्व के एक प्रिय और प्रभावशाली नेता थे। उनकी शिक्षाएं और उनके द्वारा दिए गए करुणा और समानता के संदेश आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करते रहेंगे।
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