रांची। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दाखिल याचिका पर अब 17 फरवरी को सुनवाई होगी, जिसमें झारखंड सरकार से अनुरोध किया गया है कि मनरेगा घोटाले की अभियुक्त आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को कोई विभागीय जिम्मेदारी न सौंपी जाए। ईडी ने विशेष पीएमएलए अदालत में यह दलील दी कि यदि उन्हें किसी विभाग की जिम्मेदारी दी जाती है, तो वे अपने पद का दुरुपयोग कर मामले को प्रभावित कर सकती हैं। इस याचिका पर पूजा सिंघल की ओर से जवाब दाखिल किया जा चुका है, जिसके बाद अब दोनों पक्षों की बहस होगी।
ईडी ने क्यों की याचिका दाखिल?
ईडी ने 11 मई 2022 को पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था। इससे पहले, पांच मई को उनके 25 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, जिसमें बेहिसाब नकदी और निवेश से जुड़ी कई अहम जानकारियां मिली थीं। उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट सुमन कुमार सिंह के आवास और कार्यालय से 19.31 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई थी।
जेल से बाहर, लेकिन अब भी अभियुक्त
पूजा सिंघल को सात दिसंबर को बीएनएस कानून के तहत जेल से रिहा कर दिया गया था। हालांकि, वे अब भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभियुक्त हैं। कानूनी प्रावधानों के तहत जेल से बाहर रहने के दौरान उनका निलंबन समाप्त कर दिया गया है, लेकिन ईडी को आशंका है कि उन्हें किसी विभाग का प्रभार सौंपने पर वे जांच को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या है मनरेगा घोटाला?
मनरेगा घोटाले में सरकारी धन के दुरुपयोग और हेराफेरी के गंभीर आरोप लगे हैं। पूजा सिंघल झारखंड के विभिन्न जिलों में उपायुक्त रहते हुए कथित तौर पर इस घोटाले में शामिल रही हैं। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का भी मामला दर्ज है। ईडी ने जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी बरामद किए थे।
अब अदालत इस पर 17 फरवरी को फैसला सुनाएगी कि पूजा सिंघल को किसी विभागीय जिम्मेदारी से रोका जाए या नहीं।