ऑपरेशन सिंदूर की नायिका के परिजनों ने कहा – “मोदी जी ने महिलाओं को दिलाया असली सम्मान”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जब गुजरात के वडोदरा पहुंचे, तो उनका स्वागत सिर्फ फूलों और नारों से नहीं हुआ — यह स्वागत था वीरता, समर्पण और सम्मान का। वडोदरा एयरपोर्ट से लेकर एयरफोर्स गेट तक लगभग एक किलोमीटर लंबे भव्य रोड शो को ‘सिंदूर सम्मान यात्रा’ नाम दिया गया, जो अपने आप में देश के लिए बलिदान देने वालों को एक श्रद्धांजलि थी।
इस खास यात्रा की शुरुआत उसी मंच से हुई, जहां पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार से मुलाकात की। वडोदरा की इस बहादुर बेटी के परिवार की आंखों में गर्व साफ झलक रहा था।
💬 बहन शायना कुरैशी बोलीं – “मोदी जी ने महिलाओं को नई उड़ान दी”
कर्नल सोफिया की जुड़वां बहन शायना कुरैशी ने कहा,
“प्रधानमंत्री ने हमसे नमस्कार किया, लेकिन आसपास इतना शोर था कि बात नहीं हो सकी। फिर भी जो भाव उन्होंने दिए, वो दिल को छू गए। मोदी जी ने महिलाओं को वो स्थान दिया है, जो कभी सोचा भी नहीं गया था। ऑपरेशन सिंदूर एक मिसाल है — ना कोई कैजुअल्टी, ना कोई चूक। हर महिला आज खुद पर गर्व कर सकती है।”
👨👧👦 पिता ताज मोहम्मद बोले – “जो कदम पीएम ने उठाया, वो बहुत पहले होना चाहिए था”
सोफिया के पिता, पूर्व फौजी ताज मोहम्मद कुरैशी भावुक होते हुए बोले,
“मोदी जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने जो किया, वो देश के लिए जरूरी था और ये कदम बहुत पहले उठ जाना चाहिए था। बेटी ने जो किया, उस पर पूरे परिवार को फक्र है।”
🧔♂️ भाई संजय कुरैशी ने कहा – “PM से मिलना गर्व का पल”
सोफिया के भाई संजय कुरैशी ने कहा,
“हमने पीएम मोदी का फूलों से स्वागत किया। उन्होंने कुछ कहा भी, शायद ‘केम छो’ कहा, लेकिन आवाज़ बहुत ज़्यादा थी। उनसे मिलना किसी अचीवमेंट से कम नहीं था। ऑपरेशन सिंदूर हमारी सरकार और हमारी सेना की ऐतिहासिक सफलता है।”
🌟 कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
गुजरात के वडोदरा में जन्मी कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की उन गिनी-चुनी महिला अफसरों में से हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नेतृत्व किया।
- जैव रसायन में ग्रेजुएट सोफिया ने 1999 में 17 साल की उम्र में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में प्रवेश किया।
- चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें लेफ्टिनेंट बनाया गया।
- 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवाएं दीं।
- पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत कार्यों से लेकर ऑपरेशन पराक्रम तक, उन्होंने मोर्चे पर नेतृत्व किया।
- उन्हें जीओसी-इन-सी और सिग्नल ऑफिसर इन चीफ की तरफ से सम्मान पत्र मिल चुके हैं।
- 2016 में पुणे में आयोजित 18 देशों के संयुक्त अभ्यास ‘फोर्स 18’ में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली वे एकमात्र महिला सैन्य अधिकारी थीं।
👏 ऑपरेशन सिंदूर की गर्व गाथा
हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारत सरकार की उस टीम में अहम भूमिका निभाई, जिसने प्रेस ब्रीफिंग में देश को इस सफलता की जानकारी दी। उनके साथ विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिसरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थे। इस मिशन की खास बात यह थी कि इसमें भारत ने बिना किसी सैनिक हानि के, आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा सिर्फ एक चुनावी प्रचार नहीं था — यह नारी शक्ति, राष्ट्र रक्षा और गुजरात की माटी के प्रति उनके सम्मान को प्रकट करता है। कर्नल सोफिया जैसे नाम आज भारत की सैन्य शक्ति और सामाजिक परिवर्तन की प्रतीक बन चुके हैं।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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