नई दिल्ली, 15 फरवरी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को प्रख्यात वैदिक विद्वान डॉ. टोनी नादेर के भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति गहरे ज्ञान और समर्पण की प्रशंसा की।
पीएम मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“कुछ दिन पहले मेरी डॉ. टोनी नादेर के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई। भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति उनका ज्ञान और जुनून वास्तव में सराहनीय है।”
टोनी नादेर: न्यूरोसाइंटिस्ट से वैदिक विद्वान तक का सफर
डॉ. टोनी नादेर एक प्रसिद्ध न्यूरोसाइंटिस्ट हैं, जिन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने न्यूरोसाइंस में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ वैदिक परंपराओं को समझने और प्रचारित करने के लिए वे दशकों से कार्य कर रहे हैं।
हाल ही में, डॉ. नादेर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए नई दिल्ली आए थे। इस मुलाकात में उन्होंने भारतीय संस्कृति, वेदों की प्राचीन परंपराओं, ध्यान, चेतना और विज्ञान से संबंधित विषयों पर चर्चा की।
नादेर ने पीएम मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की
बैठक के बाद, डॉ. नादेर ने कहा,
“माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ उनके आवास पर मेरी एक बहुत ही अच्छी बैठक हुई, जहां हमने वेद, महर्षि, भावातीत ध्यान, चेतना और विज्ञान पर चर्चा की। एक ऐसे नेता की बुद्धिमत्ता और ज्ञान को प्रत्यक्ष रूप से देखना वास्तव में प्रेरणादायक था, जो न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व परिवार का समर्थन करता है।”
उन्होंने आगे कहा,
“भारत के लोग उनके मार्गदर्शन के लिए भाग्यशाली हैं। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी और पोषणकारी नेतृत्व में, भारत कई क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत वैश्विक शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”
महर्षि महेश योगी के उत्तराधिकारी के रूप में टोनी नादेर की भूमिका
डॉ. टोनी नादेर को महर्षि महेश योगी के उत्तराधिकारी के रूप में जाना जाता है। वह 100 से अधिक देशों में भावातीत ध्यान (ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन) और इसके उन्नत अभ्यासों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। एशिया, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में उनके नेतृत्व में ध्यान और चेतना से जुड़े कई अंतरराष्ट्रीय संगठन कार्य कर रहे हैं।
महर्षि महेश योगी द्वारा विकसित भावातीत ध्यान तकनीक को दुनियाभर में मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान के लिए प्रभावी माना जाता है। इस तकनीक को अपनाने वालों में दुनिया के कई प्रतिष्ठित नेता, कलाकार और वैज्ञानिक शामिल हैं।
भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का वैश्विक प्रभाव
प्रधानमंत्री मोदी की इस बैठक से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता वैश्विक स्तर पर कितना प्रभावशाली योगदान दे रही है। योग, ध्यान और वेदांत को लेकर दुनियाभर में रुचि बढ़ रही है, और भारत इस क्षेत्र में नेतृत्व कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर योग और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं को बढ़ावा देने की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया जाना इसका एक बड़ा उदाहरण है।
डॉ. टोनी नादेर के साथ हुई यह चर्चा भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधुनिक विज्ञान और वैश्विक समाज से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।