पाकिस्तान और पीओके (पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई निर्णायक कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के कुछ ही घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से विस्तार से जानकारी ली और सेना के पराक्रम की सराहना की।
कैबिनेट मीटिंग में मेज थपथपाकर हुआ पीएम मोदी और सेना का स्वागत
बैठक की शुरुआत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पूरी जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे रात के अंधेरे में भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने एकजुट होकर बहावलपुर, मुरीदके, कोटली और पुंछ जैसे आतंकी अड्डों को सफलतापूर्वक ध्वस्त किया। कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने मेज थपथपाकर प्रधानमंत्री के निर्णय और सशस्त्र बलों के साहस की प्रशंसा की।
आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत की धरती पर निर्दोष नागरिकों की हत्या को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह भारत का नया आत्मविश्वास है। हम आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर अडिग हैं। जो निर्दोषों को मारते हैं, उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।”
अलग से की गई उच्च स्तरीय बैठक
कैबिनेट बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ एक विशेष बैठक भी की। इसमें सेना की तैयारी, सीमा की स्थिति और पाकिस्तान की संभावित प्रतिक्रिया को लेकर मंथन किया गया। यह बैठक इस बात का संकेत देती है कि भारत न केवल हमलों के बाद की स्थिति पर नजर रखे हुए है, बल्कि भविष्य की रणनीतियों पर भी सक्रियता से काम कर रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की अहमियत
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। हमले के बाद से ही देश में आक्रोश था। प्रधानमंत्री मोदी ने सेना को आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए पूर्ण स्वतंत्रता दे दी थी। ऑपरेशन सिंदूर उसी का परिणाम है, जिसमें पाकिस्तान और पीओके के भीतर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाकर तबाह कर दिया गया।