मिशन लाइफ से फिर जीवंत हो रही भारत की पारंपरिक संरक्षण परंपराएं : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्ली, 4 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के एक लेख को साझा करते हुए कहा कि भारत का मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) न केवल पर्यावरण संरक्षण का आधुनिक प्रयास है, बल्कि यह सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं को पुनर्जीवित करने वाला अभियान भी है।
प्रधानमंत्री ने सामाजिक मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि यह लेख अवश्य पढ़ा जाना चाहिए, क्योंकि इसमें विस्तार से बताया गया है कि कैसे मिशन लाइफ भारत की पारंपरिक जल, ऊर्जा और प्रकृति संरक्षण प्रणालियों को नई पहचान दे रहा है। मोदी ने कहा,
“तमिलनाडु के एरी टैंक सिस्टम से लेकर राजस्थान के जोहड़ों तक, मिशन लाइफ ने भारत की पुरानी संरक्षण प्रणालियों को नया जीवन दिया है। इन परंपराओं को अब ‘पृथ्वी सेवा’ के रूप में देखा जा रहा है।”
In this must-read article, Union Minister Shri @byadavbjp writes that India's Mission LiFE (Lifestyle For Environment) revives time-honoured conservation practices, from Tamil Nadu's eri tank systems to Rajasthan's johads, reframing them as conscious acts of planetary service.… https://t.co/sE4WICBgFl
— PMO India (@PMOIndia)In this must-read article, Union Minister Shri @byadavbjp writes that India's Mission LiFE (Lifestyle For Environment) revives time-honoured conservation practices, from Tamil Nadu's eri tank systems to Rajasthan's johads, reframing them as conscious acts of planetary service.… https://t.co/sE4WICBgFl
— PMO India (@PMOIndia) November 4, 2025
भारत की परंपराओं को आधुनिक सोच से जोड़ने की पहल
प्रधानमंत्री ने कहा कि मिशन लाइफ का उद्देश्य केवल पर्यावरण को बचाना नहीं, बल्कि जनभागीदारी के माध्यम से व्यवहारिक परिवर्तन लाना है। उन्होंने कहा कि भारत की परंपराओं में सदियों से संतुलित उपभोग, प्रकृति के साथ सहअस्तित्व और संसाधनों के पुन: उपयोग की संस्कृति रही है। मिशन लाइफ इन्हीं मूल्यों को आधुनिक जीवनशैली में शामिल कर रहा है।
भूपेंद्र यादव के लेख में बताया गया है कि तमिलनाडु का एरी टैंक सिस्टम, जो वर्षा जल संचयन और सिंचाई का उत्कृष्ट उदाहरण है, अब मिशन लाइफ की प्रेरणा बन चुका है। वहीं, राजस्थान के जोहड़, गुजरात की बावड़ियां, लद्दाख के ग्लेशियल तालाब और पूर्वोत्तर के बांस संरक्षण मॉडल जैसी परंपराओं को भी स्थानीय समुदायों के सहयोग से पुनर्जीवित किया जा रहा है।
"सच्ची स्थिरता बातचीत से नहीं, संरक्षण से शुरू होती है"
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा कि
“असली स्थिरता केवल नीतियों या संवाद से नहीं आती, बल्कि यह पोषण, संरक्षण और भागीदारी से जन्म लेती है।”
उन्होंने कहा कि मिशन लाइफ का संदेश है — ‘जीवन के हर पहलू में पर्यावरण की रक्षा’, चाहे वह जल का विवेकपूर्ण उपयोग हो, ऊर्जा की बचत हो या कचरे के पुन: उपयोग का अभ्यास।
मिशन लाइफ क्या है?
मिशन लाइफ (Lifestyle for Environment) की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में की थी। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लोगों को सतत जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। इस मिशन के तहत व्यक्तियों, समाज और सरकारों को मिलकर ऐसा जीवन अपनाने का आह्वान किया गया है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हो और पर्यावरण पर दबाव कम किया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा है कि यह अभियान वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
भारत बना पर्यावरण चेतना का मार्गदर्शक
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है, बल्कि ‘पंचामृत’ लक्ष्य के माध्यम से 2070 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का संकल्प भी लिया है। मिशन लाइफ इसी दिशा में एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन के रूप में उभर रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिशन भारतीय समाज में “Reduce, Reuse, Recycle” जैसी अवधारणाओं को स्थानीय संदर्भ में जोड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक जलस्रोतों की मरम्मत, सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग और अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता अब व्यापक स्तर पर बढ़ रही है।
विश्व के लिए भारतीय सोच का मॉडल
मिशन लाइफ केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बनता जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों — जैसे COP सम्मेलन और G20 बैठकें — में इस विचार को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारों का दायित्व नहीं, बल्कि हर व्यक्ति का जीवन मिशन होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में अंत में कहा कि भारत की पारंपरिक संरक्षण प्रणालियां यह सिद्ध करती हैं कि “स्थिरता हमारी संस्कृति का हिस्सा है, आयातित अवधारणा नहीं।”
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