जापान दौरे पर PM मोदी: टोक्यो के शोरिनजन दारुमा जी मंदिर पहुंचे, भाग्यशाली दारुमा डॉल की मिली भेंट
टोक्यो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जापान दौरे के दौरान शुक्रवार सुबह टोक्यो पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। पारंपरिक भारतीय संस्कृति और जापानी परंपराओं के इस अनोखे संगम ने माहौल को खास बना दिया। सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी शोरिनजन दारुमा जी मंदिर पहुंचे। यह मंदिर जापान की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। यहां के मुख्य पुजारी ने प्रधानमंत्री को जापान की पारंपरिक दारुमा डॉल भेंट की, जिसे शुभ और भाग्यशाली ताबीज के रूप में देखा जाता है।
दारुमा डॉल का महत्व
दारुमा जापान की प्राचीन परंपरा से जुड़ी हुई गुड़िया है। इसे मोटे कागज से बनाया जाता है और लाल रंग से रंगा जाता है। जापानी मान्यता के अनुसार लाल रंग बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाता है। यही कारण है कि दारुमा डॉल को सौभाग्य, समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है। इसे पाने वाले व्यक्ति के जीवन में शुभकामनाएं और सकारात्मक ऊर्जा के आगमन की धारणा होती है।
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मोदी का स्वागत भारतीय रंग में
जापान पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत एक खास भारतीय अंदाज में किया गया। स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक भारतीय नृत्य भरतनाट्यम प्रस्तुत कर प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया। इसके साथ ही गायत्री मंत्र और पारंपरिक राजस्थानी भजन गाकर भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत की गई। इस मौके पर मौजूद प्रवासी भारतीय समुदाय भावनाओं से भर उठा।
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प्रवासी भारतीयों से मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान में रह रहे प्रवासी भारतीयों से भी भेंट की। प्रवासी भारतीयों ने जोरदार ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री को हाल ही में संपन्न हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के लिए बधाई भी दी। प्रवासी भारतीयों ने कहा कि भारत के वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव से वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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सांस्कृतिक और कूटनीतिक महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत बनाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। दारुमा डॉल की भेंट जापानी परंपरा की सौहार्द और विश्वास का प्रतीक है, वहीं भारतीय नृत्य और मंत्र जापान की धरती पर भारत की जीवंत संस्कृति का परिचय कराते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरे से न केवल भारत-जापान संबंधों को नई ऊर्जा मिलेगी, बल्कि प्रवासी भारतीय समुदाय को भी अपने मूल देश से और गहराई से जोड़ने का अवसर मिलेगा।
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