प्रधानमंत्री मोदी ने किया नवा रायपुर में शांति शिखर रिट्रीट सेंटर का लोकार्पण, विश्व को देगा शांति का संदेश

रायपुर, 1 नवम्बर। छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवा रायपुर के सेक्टर-20 में स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान के भव्य ‘शांति शिखर रिट्रीट सेंटर’ का लोकार्पण किया। यह रिट्रीट सेंटर ‘एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड’ के नाम से जाना जाएगा और इसे देशभर में शांति, योग, ध्यान और आत्मसाक्षात्कार की शिक्षा का केंद्र बताया जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए ब्रह्माकुमारी संस्थान के सदस्यों ने पारंपरिक ढंग से माला और खुमड़ी पहनाकर उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, वहीं संस्थान की ओर से अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती, अतिरिक्त महासचिव डॉ. राजयोगी बीके मृत्युंजय और रायपुर क्षेत्र की संचालिका बीके सविता सहित अनेक साधक उपस्थित रहे।

सात वर्षों की तपस्या से साकार हुआ शांति शिखर

संस्थान से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस रिट्रीट सेंटर की आधारशिला 15 जनवरी 2018 को तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी बीके कमला के मार्गदर्शन में रखी गई थी। उनके देवलोक गमन (वर्ष 2022) के बाद उनके अधूरे स्वप्न को संस्थान के अन्य साधकों ने पूर्णता दी। सात वर्षों के सतत प्रयासों से तैयार हुआ यह भवन आध्यात्मिकता और भारतीय स्थापत्य कला का अनूठा संगम है।

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जोधपुर के कुशल कारीगरों ने राजस्थानी शैली में इस इमारत को तैयार किया है। इसके लिए 150 से अधिक ट्रकों में पिंक स्टोन (गुलाबी पत्थर) जोधपुर से मंगाए गए। यह पूरी तरह हस्तनिर्मित और शुद्ध पारंपरिक शैली में निर्मित भवन है, जिसमें बारीक नक्काशी और शिल्पकला का अद्भुत समावेश दिखाई देता है।

इंजीनियरिंग और वास्तुकला का अनोखा उदाहरण

शांति शिखर रिट्रीट सेंटर छत्तीसगढ़ की पहली इमारत है जो प्रेस टेंसाइल बीम तकनीक से बनाई गई है। आमतौर पर इस तकनीक का उपयोग बड़े पुलों के निर्माण में किया जाता है, जिससे भवन की मजबूती और दीर्घायु सुनिश्चित होती है। यह भवन 105 फीट ऊंचा, 150 फीट चौड़ा और 225 फीट लंबा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी संरचना इतनी सुदृढ़ है कि भविष्य में इसमें दो और मंजिलें जोड़ी जा सकती हैं।

यह न केवल वास्तुशिल्प की दृष्टि से अद्भुत है बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी आधुनिक और टिकाऊ निर्माण का उदाहरण प्रस्तुत करता है।

सामूहिक सहयोग से साकार हुआ सपना

इस रिट्रीट सेंटर के निर्माण में किसी बाहरी फंडिंग का उपयोग नहीं किया गया, बल्कि ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़े प्रत्येक सदस्य ने अपनी ओर से सहयोग दिया। रायपुर यूनिट के अंतर्गत संचालित 50 सेवाकेंद्रों और 500 उप-सेवाकेंद्रों में ‘दान भंडारी’ लगाई गई थी। वर्ष 2018 से लेकर अब तक संस्थान के सभी सदस्यों ने प्रतिदिन कम से कम एक रुपया इस पवित्र कार्य के लिए समर्पित किया। इस सात वर्ष की तपस्या और सामूहिक योगदान का परिणाम आज ‘शांति शिखर’ के रूप में साकार हुआ है।

राजस्थानी महल जैसा भव्य स्वरूप

रायपुर क्षेत्र की संचालिका राजयोगिनी बीके सविता ने बताया कि यह भवन लगभग दो एकड़ भूमि पर निर्मित है और देखने में पारंपरिक राजस्थानी महल का आभास कराता है। इसकी पांच मंजिला संरचना में आधुनिक सुविधाओं का समावेश किया गया है। यह परिसर पूर्णतः वातानुकूलित है और इसमें ध्यान कक्ष, सभागार, आवासीय सुविधा, और आध्यात्मिक अध्ययन के लिए पुस्तकालय जैसी कई सुविधाएं हैं।

इसके अतिरिक्त यहाँ आने वाले साधकों और आगंतुकों के लिए विशेष ध्यान सत्र, योग प्रशिक्षण, और आंतरिक शांति पर आधारित सेमिनार आयोजित किए जाएंगे।

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विश्व को शांति और सह-अस्तित्व का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने लोकार्पण समारोह में कहा कि “भारत की पहचान केवल आर्थिक शक्ति या प्रौद्योगिकी से नहीं, बल्कि अपनी अध्यात्मिक परंपरा से है। यह धरती ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सिद्धांत पर चलती है और यही भावना इस रिट्रीट सेंटर के माध्यम से पूरी दुनिया तक पहुंचेगी।” उन्होंने कहा कि ऐसे केंद्र न केवल व्यक्ति बल्कि समाज में भी शांति और सौहार्द का वातावरण निर्मित करते हैं।

संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती ने कहा कि शांति शिखर का उद्देश्य किसी धर्म, जाति या क्षेत्र की सीमाओं से परे जाकर सभी मनुष्यों में आत्मबोध और करुणा का भाव जगाना है।

शांति शिखर रिट्रीट सेंटर भविष्य में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति सम्मेलन, योग प्रशिक्षण और आत्मसाक्षात्कार कार्यक्रमों का प्रमुख केंद्र बनेगा। यह केवल एक भवन नहीं बल्कि एक विचारधारा है—“शांति, प्रेम और एकता” की।