नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नवी मुंबई के खारघर में इस्कॉन की परियोजना श्री श्री राधा मदनमोहन जी मंदिर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने इस्कॉन की सेवा भावना और समाज के प्रति उनके योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने इस्कॉन से प्रेरणा लेते हुए अपनी सरकार की योजनाओं और नीतियों को सेवा की भावना से जोड़ने पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सेवा की भावना सच्चा सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि उनकी सरकार गरीबों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए जिस तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही है, वह इसी भावना से प्रेरित हैं।
कल्याणकारी योजनाओं में सेवा भावना
प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवा की भावना से प्रेरित होकर उनकी सरकार ने कई जनहितकारी योजनाएं शुरू की हैं, जैसे:
- हर घर शौचालय निर्माण
- उज्ज्वला योजना के तहत गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराना
- हर घर नल से जल योजना
- गरीबों के लिए 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज
- 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए विशेष सुविधाएं
- हर बेघर व्यक्ति को पक्का मकान उपलब्ध कराना
उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयास सेवा की उसी भावना का हिस्सा हैं जो भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से प्रेरित है।
भारत की आध्यात्मिक संस्कृति: सेवा का आधार
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की आध्यात्मिक संस्कृति का आधार सेवा है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता में ईश्वर की सेवा और जनसेवा एक ही हैं। भारत की संस्कृति साधकों को समाज से जोड़ती है, करुणा और परोपकार को बढ़ावा देती है।
प्रधानमंत्री ने श्रीकृष्ण के एक श्लोक का हवाला देते हुए कहा कि सभी धार्मिक ग्रंथ और शास्त्र सेवा की भावना पर आधारित हैं। इस्कॉन इस विचार को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करता है और समाज सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने इस्कॉन द्वारा कुंभ मेले में किए गए सेवा कार्यों की भी सराहना की।
आध्यात्मिकता और इस्कॉन की भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत केवल भौगोलिक सीमाओं से बंधा हुआ एक देश नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। भारत की आत्मा को समझने के लिए आध्यात्मिकता को अपनाना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति और श्रील प्रभुपाद स्वामी की शिक्षाओं के माध्यम से एकजुट हैं। श्रील प्रभुपाद ने वेदों, वेदांत और भगवद्गीता के महत्व को आम लोगों की चेतना से जोड़ने का काम किया।
कृष्ण सर्किट से आस्था केंद्रों का जुड़ाव
प्रधानमंत्री ने इस्कॉन को सुझाव दिया कि वह कृष्ण सर्किट से जुड़े तीर्थ स्थलों और धार्मिक केंद्रों को लोकप्रिय बनाने में सहयोग करे। उन्होंने बताया कि यह सर्किट गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में फैला हुआ है।
प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि इस्कॉन अपने केंद्रों से जुड़े भक्तों को भारत के कम से कम पांच आस्था स्थलों पर जाने के लिए प्रेरित करे। इससे न केवल देश की आध्यात्मिक विरासत का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि पर्यटन और स्थानीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
इस्कॉन: समाज सेवा और आध्यात्मिकता का संगम
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस्कॉन ने आध्यात्मिकता को सेवा से जोड़कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने संगठन द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण में किए गए कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने इस्कॉन से अनुरोध किया कि वह इस सेवा भावना को और अधिक व्यापक स्तर पर फैलाने का प्रयास करे।
निष्कर्षतः, प्रधानमंत्री ने इस्कॉन की सेवा भावना को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बताया। उन्होंने संगठन से सरकार की विकास योजनाओं और तीर्थ यात्रा कार्यक्रमों में सहयोग बढ़ाने का अनुरोध किया, ताकि भारत को एक सशक्त और आध्यात्मिक रूप से प्रगतिशील राष्ट्र बनाया जा सके।