प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे सीआर पार्क दुर्गा पूजा पंडाल, महाअष्टमी पर की पूजा-अर्चना
महाअष्टमी पर मां दुर्गा की आरती में हुए शामिल, बंगाली परंपराओं का सम्मान
नई दिल्ली, 30 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार को राजधानी दिल्ली के प्रसिद्ध चितरंजन पार्क (सीआर पार्क) पहुंचे, जिसे “मिनी बंगाल” के नाम से भी जाना जाता है। यहां उन्होंने महाअष्टमी के अवसर पर दुर्गा पूजा पंडाल का दर्शन किया और काली बाड़ी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री ने बंगाल की पूजा पद्धति के अनुरूप मां दुर्गा की आरती की और पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी उनके साथ मौजूद रहीं।
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सांस्कृतिक एकजुटता का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी की इस पूजा में भागीदारी को केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकजुटता और विविध परंपराओं के सम्मान के रूप में भी देखा जा रहा है। बंगाली समाज ने इसे अपनी परंपराओं के प्रति प्रधानमंत्री की श्रद्धा और आदर की अभिव्यक्ति बताया।
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सीआर पार्क दुर्गा पूजा का महत्व
दिल्ली का सीआर पार्क दशकों से बंगाली समुदाय का केंद्र रहा है। यहां दुर्गा पूजा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है।
- इतिहास: सीआर पार्क दुर्गा पूजा का आरंभ 1970 के दशक में हुआ था। इसके साथ बना काली मंदिर परिसर आज भी बंगाली समाज का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है।
- आयोजन: दुर्गा पूजा के दौरान यहां भव्य पंडाल बनाए जाते हैं, जिनमें बारीक कारीगरी और सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है।
- कार्यक्रम: चार दिनों तक पंडालों में कवि सम्मेलन, लोकनृत्य, लोकसंगीत और पारंपरिक नाट्य प्रस्तुतियां आयोजित होती हैं।
- समुदाय: यहां पीढ़ियों से बसे बंगाली परिवार अपनी परंपरा को जीवित रखते आए हैं। पूजा के दिनों में यह इलाका बंगाल की संस्कृति और विरासत का जीवंत रूप प्रस्तुत करता है।
श्रद्धालुओं का उत्साह
प्रधानमंत्री मोदी के आगमन से सीआर पार्क के श्रद्धालुओं और बंगाली समुदाय में उत्साह देखने को मिला। स्थानीय लोगों ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की उपस्थिति से इस वर्ष की दुर्गा पूजा विशेष बन गई है।
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धार्मिक और सामाजिक महत्व
दुर्गा पूजा केवल पूजा-पाठ का अवसर नहीं, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मंच भी है। प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी ने इस उत्सव को राष्ट्रीय महत्व प्रदान किया और इसे देश की सांस्कृतिक विविधता में एकता के प्रतीक के रूप में स्थापित किया।
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