प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में 13,430 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया, बोले— 2047 तक भारत बनेगा विकसित राष्ट्र
श्रीशैलम में भगवान मल्लिकार्जुन के दर्शन के बाद कुर्नूल में किया ऐतिहासिक संबोधन, कहा— 21वीं सदी हिंदुस्तान की सदी होगी
Delighted to be in Andhra Pradesh today. Speaking at the launch of several projects that will boost connectivity, strengthen industry and empower citizens across the state. https://t.co/fVU5dmot3R
कुर्नूल, 17 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में 13,430 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने देश के भविष्य को लेकर आत्मविश्वास भरा संबोधन दिया और कहा कि “2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में खड़ा होगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत को 21वीं सदी के नए विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) केंद्र के रूप में देख रही है। यह परिवर्तन भारत के आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और नवाचार की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा,
“मैं पूरे विश्वास के साथ कहता हूं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की सदी है — 140 करोड़ देशवासियों की सदी।”
🔹 आत्मनिर्भर भारत का केंद्र बनेगा आंध्र प्रदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की प्रगति का मूल मंत्र है ‘आत्मनिर्भर भारत’, और इस दिशा में आंध्र प्रदेश की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य अब औद्योगिक विकास, बंदरगाहों के विस्तार, हरित ऊर्जा और विनिर्माण के क्षेत्र में देश का अग्रणी केंद्र बनता जा रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियाँ राज्यों को सशक्त बनाकर देश के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
“हम चाहते हैं कि हर राज्य आत्मनिर्भर भारत के अभियान में अपनी भूमिका निभाए। आंध्र प्रदेश के पास तटीय ऊर्जा, मछली पालन, कृषि और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में समान विकास की गति तेज होगी।
🔹 श्रीशैलम में भगवान मल्लिकार्जुन के दर्शन
आंध्र प्रदेश आगमन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दिन की शुरुआत धार्मिक आस्था से की। वे सबसे पहले श्रीशैलम पहुंचे, जहाँ उन्होंने श्री भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी वरला देवस्थानम में पूजा-अर्चना की।
यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों और 52 शक्तिपीठों में से एक है, और विश्व का एकमात्र ऐसा तीर्थस्थल है जहाँ ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों एक साथ स्थित हैं। प्रधानमंत्री ने यहां रुद्राभिषेक के साथ ध्यान और प्रार्थना की, और देश की समृद्धि व शांति की कामना की।
🔹 शिवाजी स्फूर्ति केंद्र में की पूजा-अर्चना
भगवान मल्लिकार्जुन के दर्शन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने श्री शिवाजी स्फूर्ति केंद्र का भी दौरा किया, जो श्रीशैलम में स्थित एक विशेष मेमोरियल कॉम्प्लेक्स है। इस केंद्र का उद्देश्य छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन, दर्शन और राष्ट्रभक्ति से प्रेरणा लेना है।
प्रधानमंत्री ने वहां स्थित ध्यान हॉल में ध्यान लगाया और परिसर का अवलोकन किया। यह ध्यान केंद्र अत्यंत विशिष्ट वास्तुशिल्प पर आधारित है — इसके चारों कोनों पर चार ऐतिहासिक किलों के मॉडल बने हैं: प्रतापगढ़, राजगढ़, रायगढ़ और शिवनेरी। इन किलों के बीच में छत्रपति शिवाजी महाराज की ध्यान मुद्रा में स्थापित विशाल प्रतिमा स्थित है, जो पराक्रम, संयम और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री के साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू भी मौजूद रहे। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से प्रदेश के विकास की गति को “ऐतिहासिक” बताया।
🔹 विकास और आस्था का संगम
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा केवल राजनीतिक या विकासात्मक दृष्टि से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब विकास और आस्था साथ चलते हैं, तो समाज में आत्मबल और एकता दोनों मजबूत होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सभी कोने आज एक साझा लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं — “विकसित भारत 2047”। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे आत्मनिर्भरता, नवाचार और सामाजिक सेवा की दिशा में निरंतर कार्य करें, क्योंकि भारत की ताकत जनता की सहभागिता में ही निहित है।
🔹 भविष्य की दिशा – “विकसित भारत 2047”
अपने भाषण के समापन पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का भारत अवसरों से भरा है। डिजिटल क्रांति, स्टार्टअप संस्कृति, और औद्योगिक विकास की नई दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
“आज जो नींव रखी जा रही है, वह आने वाले सौ वर्षों के भारत को आकार देगी। जब 2047 में भारत आज़ादी के 100 वर्ष मनाएगा, तब हम दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में होंगे।”
इस दौरे ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी के ‘विकास और विरासत’ दोनों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण को रेखांकित किया — एक ओर आस्था की गहराई, दूसरी ओर प्रगति की ऊँचाई।
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