पितृपक्ष 2025: दान और तर्पण से पितरों का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें
भोपाल। हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का समय अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की सप्तमी से पूर्णिमा तक यानी लगभग 16 दिनों तक चलता है। इस अवधि में पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए विशेष कर्म और दान किए जाते हैं। यह केवल धार्मिक रिवाज नहीं है, बल्कि आत्मिक संतुलन, मानसिक शांति और पारिवारिक समृद्धि का मार्ग भी है।
पितृपक्ष का महत्व
- पूर्वजों की आत्मा को शांति: पितृपक्ष में तर्पण और दान से पितरों की आत्मा को मोक्ष और शांति मिलती है।
- जीवन की बाधाओं से मुक्ति: सही दान और कर्म से जीवन की कठिनाइयां और बाधाएं कम होती हैं।
- परिवार में समृद्धि और सौहार्द: पितृओं का आशीर्वाद परिवार में सुख-शांति और धन-संपत्ति बढ़ाता है।
- आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन: इस समय किए गए कर्म मन को शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं।

पितृपक्ष में किए जाने योग्य दान और उपाय
1. काले तिल का दान
- क्यों करें: काले तिल पितृओं को बहुत प्रिय हैं।
- कैसे करें: पानी, दूध या गंगाजल में मिलाकर नदी, तालाब या किसी पवित्र स्थल पर डालें।
- लाभ: पूर्वज प्रसन्न होते हैं, जीवन की बाधाएं कम होती हैं, मानसिक शांति मिलती है।
2. भोजन और अन्न का दान
- क्यों करें: भूखे और जरूरतमंदों को भोजन देने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
- कैसे करें: चावल, दाल, खिचड़ी, गुड़, मिठाई, फल आदि गरीबों, ब्राह्मणों या मठ/मंदिर में दान करें।
- लाभ: परिवार में सुख-शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
3. वस्त्र और कपड़े का दान
- क्यों करें: साफ और नए कपड़े देना पितृ प्रसन्नता का मार्ग है।
- कैसे करें: गरीबों और ब्राह्मणों को विशेष रूप से हल्के या सफेद कपड़े दें।
- लाभ: जीवन में स्थिरता और संतुलन, पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है।
4. धातु और तांबे के बर्तन दान
- क्यों करें: तांबे और पीतल के बर्तन पवित्रता का प्रतीक हैं।
- कैसे करें: पानी के पात्र या अन्य आवश्यक बर्तन ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दें।
- लाभ: पितृ प्रसन्न होते हैं, घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
5. गाय, दूध और पंचामृत का दान
- क्यों करें: गाय और उसका दूध पवित्र और पुण्यकारी हैं।
- कैसे करें: गाय को चारा खिलाएं, दूध दान करें या पंचामृत तर्पण करें।
- लाभ: पूर्वजों की आत्मा को शांति और परिवार में समृद्धि आती है।
6. धूप, दीप और पुष्प अर्पण
- क्यों करें: यह पवित्रता और श्रद्धा के प्रतीक हैं।
- कैसे करें: तर्पण के समय दीपक जलाएं, धूप और फूल अर्पित करें।
- लाभ: पितृ प्रसन्न होते हैं, घर में सकारात्मक वातावरण बनता है।
7. धार्मिक ग्रंथ और शिक्षा का दान
- क्यों करें: शिक्षा और ज्ञान का दान पितृओं को प्रिय होता है।
- कैसे करें: ब्राह्मणों और छात्राओं को ग्रंथ, पाठ्य-पुस्तकें या स्टेशनरी दें।
- लाभ: परिवार में बुद्धि और ज्ञान का विकास होता है, पितृ आशीर्वाद मिलते हैं।

पितृपक्ष के दौरान दिन-प्रतिदिन सुझाव
दिन | दान और कर्म | विशेष महत्व |
---|---|---|
1 | काले तिल और जल तर्पण | पूर्वजों की आत्मा की शांति |
2 | अन्न और भोजन दान | जीवन में सुख-समृद्धि |
3 | वस्त्र और कपड़े | परिवार में स्थिरता |
4 | गाय और दूध | मानसिक शांति और पुण्य |
5 | पंचामृत तर्पण | पितृ प्रसन्नता और सकारात्मक ऊर्जा |
6 | धूप, दीप और पुष्प | घर में पवित्रता और समृद्धि |
7 | धार्मिक ग्रंथ और शिक्षा सामग्री | ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि |
8-16 | उपरोक्त सभी दान का संयोजन | संपूर्ण पितृशांति और आशीर्वाद |
पितृपक्ष केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, पुण्य कर्म और पारिवारिक समृद्धि का अवसर है। यदि हम इस पवित्र समय में श्रद्धा भाव से दान और तर्पण करते हैं, तो न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि हमारे जीवन में सुख-शांति, आर्थिक समृद्धि और मानसिक संतुलन भी आता है।
इस पितृपक्ष में काले तिल, भोजन, कपड़े, गाय का दूध, पंचामृत, धूप-दीप और शिक्षा सामग्री का दान अवश्य करें और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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