नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। हालांकि, इस फैसले के साथ ही सरकार ने आम उपभोक्ताओं को राहत देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में हाल ही में आई गिरावट के चलते इस अतिरिक्त टैक्स को समायोजित किया जा सकेगा।
पहले कितनी थी ड्यूटी, अब कितना लगेगा?
वर्तमान में केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.90 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 15.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूल रही थी। नई दरों के मुताबिक अब पेट्रोल पर 21.90 रुपए और डीजल पर 17.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगेगी।
क्यों लिया गया ये फैसला?
सूत्रों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हाल के सप्ताहों में अच्छी-खासी गिरावट देखी गई है। ऐसे में सरकार ने इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए टैक्स बढ़ाने का रास्ता चुना है, लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि उपभोक्ताओं की जेब पर तत्काल असर न पड़े।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार इस टैक्स बढ़ोतरी से मिलने वाली अतिरिक्त रकम का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक योजनाओं में खर्च करेगी। साथ ही, यह कदम फिस्कल बैलेंस को बनाए रखने में भी सहायक होगा।
क्या आगे कीमतें बढ़ सकती हैं?
फिलहाल सरकार और तेल कंपनियों ने यह भरोसा दिलाया है कि खुदरा स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहेंगी। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि कच्चे तेल की कीमतों में फिर से उछाल आता है, तो कंपनियों के पास उपभोक्ताओं पर बोझ डालने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
आर्थिक संकेत क्या कहते हैं?
पिछले कुछ समय से सरकार टैक्स वसूली के जरिए अपने घाटे को नियंत्रित करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। इस फैसले को भी उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। तेल की वैश्विक कीमतें स्थिर रहीं तो आम जनता को फिलहाल राहत मिल सकती है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिति अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करेगी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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