बेटे की मासूम आवाज में गूंज रही है इंसानियत की हार
नई दिल्ली।
“क्या पापा कहीं चले गए हैं?”… तीन साल के हृदान की कांपती आवाज, अब हर उस दिल में टीस बनकर बस गई है जिसने इंसानियत को जिंदा रखा है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने ना सिर्फ एक निर्दोष जीवन छीन लिया, बल्कि एक बच्चे की पूरी दुनिया उजाड़ दी। हृदान के पिता, बितन अधिकारी, आतंकियों के हाथों उसी के सामने मार दिए गए — एक ऐसा मंजर जिसे न तो आंखें भुला सकती हैं, न दिल।
परिवार अमेरिका से आया था भारत यात्रा पर
बितन अधिकारी पश्चिम बंगाल के मूल निवासी थे और पिछले कुछ वर्षों से अपने परिवार सहित अमेरिका के फ्लोरिडा में रह रहे थे। वे अपने माता-पिता की देखभाल के लिए अमेरिका से लगातार आर्थिक मदद भेजते थे। 8 अप्रैल को वे भारत लौटे थे और 16 अप्रैल को परिवार समेत कश्मीर रवाना हुए थे — शायद यह सोचकर कि बेटे को अपने देश की खूबसूरती दिखाएं। लेकिन किसे पता था कि यह यात्रा कभी ना भरने वाले ज़ख्म दे जाएगी।
आतंकी हमले का भयावह सच
हृदान की मां की आंखों में आंसू हैं, पर शब्द नहीं। उन्होंने बताया कि कैसे आतंकियों ने सबसे पहले परिवार को अलग किया, फिर मर्दों को अलग ले जाकर धर्म पूछा — और फिर एक-एक कर गोली मार दी।
“मेरे पति को मेरे बेटे के सामने गोली मार दी गई… अब मैं उसे कैसे समझाऊं कि उसके पापा कभी वापस नहीं आएंगे?”
एक जिम्मेदार बेटा, एक प्यार करने वाला पिता
बितन अधिकारी सिर्फ एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं थे, बल्कि अपने बीमार माता-पिता की उम्मीद भी थे। 87 वर्षीय बीरेश्वर अधिकारी और 75 वर्षीय माया अधिकारी अब बेसहारा हो गए हैं। बितन अपनी मां की दवाइयों और पिता के इलाज का पूरा इंतज़ाम अमेरिका से करते थे।
देशभर से उठी न्याय की मांग
इस दर्दनाक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। मासूम हृदान की तस्वीरें और उसकी पुकार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। हर कोई यही पूछ रहा है — कब तक निर्दोषों की जान जाती रहेगी? कब तक कोई हृदान अपने पापा को खोजता रहेगा?
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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