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June 1, 2025 6:31 AM

मप्र-राजस्थान को ‘सुजलाम-सुफलाम’ बनाएगी पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना

"प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना पर हस्ताक्षर, मध्य प्रदेश और राजस्थान को सिंचाई और पेयजल में मिलेगा लाभ"
  • प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में परियोजना के अनुबंध सहमति पत्र पर जयपुर में हुए हस्ताक्षर
  • मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कार्यक्रम में शामिल हुए

जयपुर/भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना का उद्घाटन किया। यह परियोजना मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए जल संकट के समाधान के रूप में मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह परियोजना दोनों राज्यों को ‘सुजलाम-सुफलाम’ बनाएगी। साथ ही, उन्होंने इस परियोजना के अनुबंध सहमति पत्र (मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर को एक ऐतिहासिक कदम बताया।

कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने चंबल, पार्वती और कालीसिंध नदियों के जल से भरे कलशों को एक बड़े कलश में प्रवाहित किया, जिससे परियोजना की शुरुआत को और अधिक महत्व दिया गया।

क्या है पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना?

इस परियोजना के तहत चंबल नदी और उसकी सहायक नदियों पार्वती और कालीसिंध को आपस में जोड़ा जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई क्षेत्रों में सिंचाई और पेयजल की बेहतर व्यवस्था हो सकेगी। यह परियोजना दोनों राज्यों के किसानों और नागरिकों के जीवन में सुधार लाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि नदियों को जोड़ने से न केवल बाढ़ और सूखे की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि यह जल के महत्व को भी प्रदर्शित करेगा। उन्होंने साबरमती नदी का उदाहरण देते हुए कहा कि यह नदी नदियों को जोड़ने के कारण पुनः सजीव हुई है।

जल शक्ति मंत्री का योगदान

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने बताया कि जलसंरक्षण के लिए देशभर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान बारिश के पानी को धरती में उतारने का काम करेगा और धरती की प्यास बुझाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का बयान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस परियोजना को मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह परियोजना कई वर्षों के इंतजार के बाद प्रधानमंत्री के प्रयासों से पूरी हो सकी है। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार 90 प्रतिशत राशि प्रदान करेगी, जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकारें इसे 5-5 प्रतिशत व्यय करेंगी।

प्रमुख लाभ

यह परियोजना मध्य प्रदेश के 3217 गांवों को लाभ पहुंचाएगी। परियोजना से श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, अशोक नगर, इंदौर, धार, उज्जैन, शाजापुर, राजगढ़, और सीहोर सहित पश्चिमी मध्य प्रदेश के अन्य इलाकों में पेयजल और सिंचाई की सुविधा मिलेगी। इससे लगभग 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी, और करीब 40 लाख लोगों को पेयजल मिलेगा।

प्रमुख संरचनाएं

इस परियोजना के अंतर्गत 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे, और इसके कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। परियोजना में 172 मिलियन घन मीटर जल पेयजल और उद्योगों के लिए आरक्षित रहेगा।


पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना दोनों राज्यों में जल संकट का समाधान करने और कृषि व पेयजल आपूर्ति में सुधार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना की सफलता से न केवल इन राज्यों में जल संकट दूर होगा, बल्कि यह देशभर में जल संरक्षण और नदियों के जोड़ने के महत्व को भी उजागर करेगा।

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