बीमा संशोधन विधेयक सहित कई अहम बिलों पर होगी चर्चा

संसद का मॉनसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक, बीमा विधेयक और विपक्ष के हंगामे पर नजर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद के मॉनसून सत्र की तारीखों का एलान कर दिया है। यह सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक चलेगा। 23 दिन चलने वाले इस सत्र में कई अहम विधेयक पेश और पारित किए जाएंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।

इस सत्र को लेकर पहले से ही विपक्ष की ओर से तल्खी के संकेत मिल रहे हैं। खासकर 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी की थी। हालांकि सरकार ने अब मॉनसून सत्र की घोषणा करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि इसी मंच पर सभी मसलों पर चर्चा होगी।


🏛️ मॉनसून सत्र की प्रमुख बातें:

  • अवधि: 21 जुलाई से 12 अगस्त (23 दिन)
  • प्रस्तावित विधेयक: कई अहम विधेयक, जिनमें बीमा क्षेत्र से जुड़ा बड़ा संशोधन शामिल
  • विपक्ष के मुद्दे: 'ऑपरेशन सिंदूर', महंगाई, बेरोजगारी, चीन विवाद, अग्निपथ योजना
  • सत्तापक्ष की प्राथमिकता: आर्थिक सुधार, निवेश, एफडीआई विस्तार

📜 बीमा संशोधन विधेयक पर विशेष नजर

इस सत्र में बीमा संशोधन विधेयक को पेश किए जाने की संभावना है। इस विधेयक में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% तक करने का प्रस्ताव है।

सूत्रों के मुताबिक:

  • विधेयक का मसौदा तैयार हो चुका है
  • इसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा
  • कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवा विभाग इसे संसद में पेश करेगा

यह विधेयक अगर पारित होता है तो देश के बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश को लेकर बड़ा बदलाव आएगा।

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⚠️ विपक्षी रणनीति: हंगामे के आसार

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप और अन्य विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं।

  • 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विशेष जांच की मांग
  • सरकार पर पारदर्शिता न बरतने का आरोप
  • सुरक्षा, विदेश नीति और सैन्य रणनीति जैसे विषयों पर बहस की मांग

इसके अलावा विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, किसान मुद्दे और मणिपुर मामले को भी सत्र के दौरान उठाएगा।


🏛️ केंद्र की रणनीति

सरकार की ओर से सत्र में मुख्य रूप से आर्थिक सुधारों और निवेश-आधारित बिलों को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके अलावा कई पुराने लंबित विधेयकों को पारित करवाने का भी प्रयास रहेगा। सरकार चाहती है कि मॉनसून सत्र में अधिकतम विधायी कार्य संपन्न हों।



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