नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के आठवें संस्करण में देशभर के दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों से संवाद किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बोर्ड परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों के तनाव को कम करना और उन्हें सही मार्गदर्शन देना था। इस वर्ष ‘परीक्षा पे चर्चा’ को एक नए संवादात्मक सत्र के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियां भी शामिल हुईं। यह कार्यक्रम 8 एपिसोड में विभाजित था, जिसमें 12 विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब दिए।
सबके पास 24 घंटे, समय प्रबंधन है सबसे जरूरी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दिन में सबके पास समान 24 घंटे होते हैं, लेकिन कुछ लोग इसी समय में अपनी सभी जिम्मेदारियां पूरी कर लेते हैं, जबकि कुछ को हमेशा समय की कमी महसूस होती है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि समय प्रबंधन बेहद जरूरी है और सही तरीके से योजना बनाकर काम करने से परीक्षा के तनाव से बचा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि समय का सदुपयोग न करने से पढ़ाई और अन्य कार्यों में असंतुलन आ सकता है।
सकारात्मकता खोजने की आदत विकसित करें
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि जीवन में सकारात्मकता को तलाशने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई शिक्षक विद्यार्थियों को उत्तर लिखने की आदत डालने को कहते हैं, जिससे विषय की गहरी समझ विकसित होती है। मोदी ने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है, जिसे शिक्षक और अभिभावकों को पहचानने और प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

क्रिकेट से सीखें एकाग्रता की कला
प्रधानमंत्री ने तनाव को कम करने के लिए क्रिकेट का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से एक बल्लेबाज खेल के दौरान केवल गेंद पर ध्यान केंद्रित करता है और स्टेडियम के शोर को अनसुना करता है, उसी तरह विद्यार्थियों को भी अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने बताया कि परीक्षा के दौरान बाहरी दबाव और तनाव को दूर रखते हुए केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
बच्चों को किताबों का जेल नहीं, खुला आसमान चाहिए
प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों को यह सलाह दी कि वे बच्चों पर अत्यधिक पढ़ाई का दबाव न डालें। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार सीखने और विकास करने का मौका दिया जाए, तो वे अधिक बेहतर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल आगे की कक्षा में जाना नहीं होना चाहिए, बल्कि सीखने की प्रक्रिया का आनंद लेना भी जरूरी है।

लीडरशिप और सामाजिक जिम्मेदारी का महत्व
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को नेतृत्व कौशल विकसित करने की सलाह देते हुए कहा कि नेतृत्व का अर्थ केवल मंच पर भाषण देना नहीं होता, बल्कि दूसरों के साथ सहयोग और सहानुभूति के साथ काम करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक अच्छा नेता वही होता है जो टीम के साथ मिलकर काम करे और उनकी समस्याओं को समझे।
मध्यप्रदेश में व्यापक भागीदारी
मध्यप्रदेश में इस कार्यक्रम के लिए 18.37 लाख विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जबकि पूरे देश में 3.5 करोड़ से अधिक लोग इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर भोपाल के सुभाष एक्सीलेंस स्कूल में शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. संजय गोयल और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों में कार्यक्रम का सीधा प्रसारण रेडियो और ट्रांजिस्टर के माध्यम से भी किया गया, जिससे अधिक से अधिक विद्यार्थियों को इस संवाद का लाभ मिल सके।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम ने विद्यार्थियों को तनाव मुक्त परीक्षा देने और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने विद्यार्थियों को समय प्रबंधन, सकारात्मक सोच और एकाग्रता की महत्ता को समझाने के साथ-साथ अभिभावकों को भी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की सलाह दी। इस कार्यक्रम ने परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को न केवल मानसिक रूप से सशक्त किया बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाया।