हरियाणा के पंचकूला में सोमवार देर रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां एक ही परिवार के सात लोगों ने एक साथ ज़हर खाकर अपनी जान दे दी। मृतकों में पति-पत्नी, माता-पिता और तीन बच्चे शामिल हैं। घटना पंचकूला के मनसा देवी कॉम्प्लेक्स इलाके की है, जहां यह परिवार किराए के मकान में रह रहा था। आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ ने पूरे परिवार को इतना तोड़ दिया कि उन्होंने जिंदगी छोड़ने का फैसला कर लिया।
गाड़ी में मिली सातों की लाशें, एक ने मौके पर ली अंतिम सांस
पुलिस के अनुसार, परिवार ने ज़हर खाने के बाद घर के बाहर खड़ी हुंडई ऑरा कार में बैठकर जान दी। स्थानीय निवासी हर्ष ने सबसे पहले गाड़ी में लोगों को बेसुध देखा और पुलिस को सूचना दी। गाड़ी में उस वक्त एक शख्स जीवित था, जिसने अपना नाम प्रवीण मित्तल बताया। उसे अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। गाड़ी के भीतर उल्टियों के निशान और बेसुध शरीरों की स्थिति ने आत्महत्या की पुष्टि की।
आत्महत्या करने वाले सभी सदस्य
- प्रवीण मित्तल (पिता)
- रीना मित्तल (पत्नी)
- देशराज (पिता)
- विमला (मां)
- हार्दिक (14 वर्षीय बेटा)
- हिमशिखा और दलिशा (11 वर्षीय जुड़वां बेटियां)

बागेश्वर धाम की कथा से लौटते हुए उठाया कदम
बताया जा रहा है कि यह परिवार सोमवार को बागेश्वर धाम सरकार की कथा सुनने गया था, जो पंचकूला के सेक्टर-5 में चल रही थी। वहां से लौटने के बाद देर रात उन्होंने ज़हर खाया और आत्महत्या कर ली।
“मैं बैंकरप्ट हो चुका हूं…” : गाड़ी से मिला सुसाइड नोट
पुलिस को गाड़ी से दो पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, जिसमें प्रवीण ने लिखा –
“मैं बैंकरप्ट हो चुका हूं। मेरी वजह से ही यह सब कुछ हुआ है। मेरे ससुर को दोष न दें। अंतिम संस्कार समेत सभी रस्में मेरे मामा का लड़का निभाएगा।”
सुसाइड नोट में कुछ ऐसे नाम भी हैं जिनसे पुलिस पूछताछ कर रही है। इन नामों के आधार पर यह समझने की कोशिश हो रही है कि कहीं किसी ने प्रवीण को आत्महत्या के लिए उकसाया तो नहीं।
20 करोड़ तक पहुंचा था कर्ज, बैंक ने भगोड़ा घोषित किया था
प्रवीण के ससुर राकेश गुप्ता ने बताया कि प्रवीण ने लगभग एक दशक पहले 1 करोड़ रुपए का लोन लिया था और देहरादून में टूर एंड ट्रैवल्स का काम शुरू किया। कारोबार में भारी घाटा हुआ, और समय बीतते-बीतते कर्ज की रकम बढ़कर 20 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। बैंक ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था। जान से मारने की धमकियां भी मिलने लगी थीं।
टैक्सी चलाकर गुज़ारा कर रहा था, फिर भी कर्ज का बोझ न उतरा
प्रवीण के मामा के लड़के संदीप अग्रवाल ने बताया कि प्रवीण पहले पंचकूला में स्क्रैप की फैक्ट्री चलाता था। नुकसान होने पर देहरादून चला गया, लेकिन हालात और बिगड़ते गए। आर्थिक बदहाली के चलते प्रवीण हाल ही में पंचकूला लौटा और टैक्सी चलाने लगा। परिवार भी साथ में आ गया, लेकिन मानसिक दबाव और कर्ज की मार ने अंततः सब कुछ खत्म कर दिया।

अंतिम क्षणों में मांगी थी होटल की जगह गाड़ी में शरण
जिस वक्त हर्ष ने उन्हें देखा, प्रवीण ने कहा था कि वह सेक्टर-5 की कथा में आए थे और होटल न मिलने के कारण गाड़ी में ही रुक गए। लेकिन जब गाड़ी चेक की गई, तो स्थिति कुछ और ही थी। सबने ज़हर खा लिया था और उनके शरीर निष्प्राण थे।
जांच में जुटी पुलिस, सुसाइड नोट के आधार पर पूछताछ जारी
पुलिस इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से देख रही है। सुसाइड नोट में जिन लोगों का ज़िक्र है, उनसे पूछताछ हो रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या प्रवीण पर कोई संगठित कर्ज वसूली का दबाव था या कोई साजिश इसमें शामिल थी।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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