अमिताभ के पंखों तले बनी वेब सीरीज़ ‘पंचायत’ का चौथा सीजन अब अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रहा है, और कहना होगा कि यह सीज़न भी दर्शकों की उम्मीदों पर खरा उतरता है। बिना किसी बड़े ड्रामे या बनावटी ट्विस्ट के, पंचायत 4 अपनी सहजता, संवेदनशीलता और गहराई से एक बार फिर दिल जीतता है।


कहानी का स्वरूप (बिना स्पॉयलर के)

सीज़न 4 वहीं से शुरू होता है जहाँ पिछला सीज़न खत्म हुआ था। नए राजनीतिक समीकरण, पंचायत चुनावों की आहट और अभिषेक त्रिपाठी की उलझनें—यह सब कहानी की नींव बनाते हैं। इस बार सिर्फ गांव की समस्याएं ही नहीं, बल्कि मनुष्य के भीतर की उलझनों और संबंधों की परतें भी खुलती हैं।

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🎭 अभिनय और किरदार

  • जितेंद्र कुमार (अभिषेक) अब केवल ‘सचिवजी’ नहीं, एक परिपक्व इंसान के रूप में सामने आते हैं।
  • नीना गुप्ता और रघुवीर यादव के बीच का राजनीतिक और मानवीय तनाव कहानी को असली मजबूती देता है।
  • चंदन रॉय (विकास) और फैसल मलिक (प्रह्लाद) एक बार फिर कॉमिक रिलीफ़ के साथ-साथ इमोशनल गहराई भी लेकर आते हैं।

🎬 निर्देशन और लेखन

दीपक कुमार मिश्रा का निर्देशन बहुत ही बारीक और संतुलित है। संवादों में हल्की-फुल्की चुटकी भी है और सामाजिक कटाक्ष भी। लेखक चंदन कुमार ने ग्रामीण जीवन की सच्चाई को फिर उसी सादगी और व्यंग्य के साथ पेश किया है जो इस सीरीज़ की पहचान है।


🎵 संगीत और सिनेमैटोग्राफी

बैकग्राउंड म्यूज़िक कहानी की गति और भावनाओं को गहराई देता है। सिनेमैटोग्राफी में फुलेरा की मिट्टी, खेत, शामें और चौपाल अब भी उतनी ही जीवंत लगती हैं।


📌 देखें या नहीं?

अगर आपको तेज़-तर्रार थ्रिलर, हाई-ड्रामा या ग्लैमर चाहिए, तो ‘पंचायत’ आपके लिए नहीं।
लेकिन अगर आप ठहराव, संवेदनशीलता और ज़मीन से जुड़ी कहानी चाहते हैं, तो यह सीज़न मिस न करें।

पंचायत सीज़न 4 एक बार फिर ये साबित करता है कि बिना चीख-पुकार और ओवरएक्टिंग के भी दिल छुआ जा सकता है।


रेटिंग: 4.5 / 5
(गांव की गलियों में बसी एक बड़ी दुनिया की ईमानदार झलक)


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