मुंबई । महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार इलाके में मंगलवार देर रात हुआ इमारत हादसा अब तक 15 लोगों की जान ले चुका है। यह घटना इतनी भयावह थी कि जिसने भी सुनी, उसका दिल दहल उठा। 26 अगस्त की रात करीब 12:05 बजे विजय नगर स्थित चार मंजिला रमाबाई अपार्टमेंट का बड़ा हिस्सा अचानक गिर गया। यह हिस्सा बगल के खाली पड़े मकान पर गिरा और कुछ ही पलों में चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई।

जन्मदिन की पार्टी बनी मातम का कारण

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के समय चौथी मंजिल पर एक साल की बच्ची का जन्मदिन मनाया जा रहा था। मेहमानों से भरा घर खुशियों से गूंज रहा था, लेकिन कुछ ही सेकंड में वह घर मातम में बदल गया। इमारत के गिरने से बच्ची और उसकी मां सहित कई मेहमान मलबे में दब गए। अब तक की जानकारी के अनुसार, बच्ची और उसकी मां की भी मौत हो चुकी है।

लापरवाही का आरोप, बिल्डर गिरफ्तार

इस घटना ने प्रशासन और बिल्डरों की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह इमारत अवैध तरीके से बनाई गई थी और संबंधित अधिकारियों ने जानबूझकर अनदेखी की। वसई विरार नगर निगम (VVMC) की शिकायत पर पुलिस ने बुधवार को बिल्डर को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, जिला कलेक्टर डॉ. इंदु रानी जाखड़ ने पुष्टि की कि मृतकों में जन्मदिन की बच्ची भी शामिल है।

घायलों का इलाज और बचाव अभियान जारी

इस हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 9 लोग घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। बचाव टीमें लगातार मलबे की जांच कर रही हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई और दबा न रह गया हो। निवासियों का कहना है कि अब भी 2 लोग लापता हैं।

2012 में बनी थी इमारत, 12 फ्लैट ढहे

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी विवेकानंद कदम के मुताबिक, रमाबाई अपार्टमेंट का निर्माण वर्ष 2012 में हुआ था। इसमें कुल 50 फ्लैट थे, जिनमें से हादसे में 12 फ्लैट पूरी तरह ढह गए। इस भयावह घटना के बाद आसपास की चॉलों को भी एहतियातन खाली करा लिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

प्रभावित परिवारों को राहत

वसई विरार नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त संजय हिरवाड़े ने बताया कि प्रभावित परिवारों को अस्थायी रूप से चंदनसर समाजमंदिर में शिफ्ट किया गया है। यहां उन्हें भोजन, पानी, दवाइयों और अन्य बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।

सवालों के घेरे में जिम्मेदार विभाग

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा टल सकता था अगर प्रशासन ने समय रहते बिल्डिंग की स्थिति की जांच की होती। बार-बार शिकायत के बावजूद इमारत में रहने की अनुमति देना अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है। यह मामला अब केवल दुर्घटना नहीं, बल्कि जिम्मेदारों की लापरवाही से हुई सामूहिक हत्या जैसा प्रतीत हो रहा है।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे हादसे

महाराष्ट्र में इमारत ढहने की घटनाएं नई नहीं हैं। मुंबई और उसके उपनगरों में पुराने और जर्जर भवनों की हालत खराब है। पिछले एक दशक में इस तरह की घटनाओं में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इसके बावजूद प्रशासन और बिल्डर समय-समय पर कार्रवाई करने में नाकाम रहे हैं।

जनता में आक्रोश

इस हादसे के बाद लोगों में गहरा आक्रोश है। स्थानीय नागरिकों ने स्पष्ट कहा कि सिर्फ बिल्डर को गिरफ्तार करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने अवैध इमारत को मंजूरी दी। लोगों की मांग है कि दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोका जा सके।