रायपुर। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर छत्तीसगढ़ में शरण लेने वाले हिंदू शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता अब औपचारिक रूप से खुल गया है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने बुधवार को स्पष्ट किया कि राज्य में रह रहे पाकिस्तानी अल्पसंख्यक हिंदुओं को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के प्रावधानों के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी। यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत में आकर बसे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, पहचान और स्थायित्व को लेकर बहस तेज़ हुई है।
सिंध से आए हिंदुओं को सरकार की राहत
गृहमंत्री का यह बयान रायपुर के पूज्य शदाणी दरबार के पीठाधीश संत डॉ. युधिष्ठिर लाल की अपील के बाद आया, जिन्होंने पाकिस्तान से आए पीड़ित हिंदू समाज के लिए केंद्र और राज्य सरकार से “सहानुभूतिपूर्ण और न्यायसंगत दृष्टिकोण” अपनाने की मांग की थी।
शदाणी दरबार ने हाल ही में पाकिस्तान से आए 24 नए शरणार्थियों का स्वागत भी किया है। ये सभी हिंदू समुदाय से हैं और लंबे समय से पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न, असुरक्षा और नागरिक अधिकारों की कमी का सामना कर रहे थे।
रायपुर में लगभग 2000 पाकिस्तानी हिंदू रह रहे
संत युधिष्ठिर लाल के अनुसार, इस समय रायपुर में लगभग 2000 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) पर रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश सिंधी समुदाय से संबंध रखते हैं। हाल ही में शदाणी दरबार में पहुंचे परिवार बेहद निर्धन और अत्यंत पीड़ित अवस्था में आए हैं।
नागरिकता प्रक्रिया में तेजी के संकेत
राज्य के उपमुख्यमंत्री ने इन हिंदुओं को नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। बताया गया है कि LTV से नागरिकता मिलने की प्रक्रिया में करीब एक सप्ताह का समय लग सकता है। इस बीच राज्य पुलिस उन लोगों की जांच कर रही है जिनके पास सार्क देशों के विशेष वीजा हैं, ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित रह सके।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं शुरू
जहां एक ओर राज्य सरकार की इस पहल को हिंदू शरणार्थियों के लिए मानवता आधारित निर्णय बताया जा रहा है, वहीं पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि सीएए का राज्य में कैसे और किस प्रक्रिया से क्रियान्वयन हो रहा है, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि इस प्रक्रिया में राजनीतिक लाभ के बजाय मानवता को प्राथमिकता दी जाए।
छत्तीसगढ़ में CAA का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
छत्तीसगढ़ में पहली बार सीएए के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू होने से यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण संकेत दे सकता है। खासकर उन राज्यों के लिए, जहां पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थी बड़ी संख्या में बसे हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षण की पहल
पूज्य शदाणी दरबार लंबे समय से सिंधी समाज के धार्मिक और सामाजिक संरक्षण का केंद्र रहा है। यहाँ आने वाले शरणार्थियों को न सिर्फ भोजन और आश्रय, बल्कि सामाजिक पुनर्स्थापना में मदद भी दी जाती है। इस पहल से यह स्पष्ट हो रहा है कि केवल सरकारी नहीं, धार्मिक-सामाजिक संस्थान भी इन शरणार्थियों की सहायता में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह निर्णय उन हजारों हिंदू शरणार्थियों के लिए आशा की किरण बनकर आया है, जो वर्षों से पहचान, सुरक्षा और अधिकार की तलाश में थे।
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