दुष्प्रचार पर प्रहार, राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता

पुलवामा जैसे दर्द को फिर से ताजा कर देने वाले पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ और दुष्प्रचार पर सख्त रुख अपनाया है। केंद्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के मद्देनज़र बड़ा डिजिटल एक्शन लेते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ का आधिकारिक यूट्यूब चैनल भारत में ब्लॉक कर दिया है।

इस कार्रवाई के बाद जब भारतीय यूज़र्स चैनल पर विजिट करते हैं तो एक चेतावनी संदेश दिखाई देता है— "यह सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े सरकारी आदेश के कारण इस देश में उपलब्ध नहीं है।"

अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल कार्रवाई

शहबाज शरीफ का चैनल भारत में ब्लॉक किया जाना अब तक की सबसे हाई-प्रोफाइल डिजिटल कार्रवाई मानी जा रही है। इससे पहले भी केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री ख्वाजा आसिफ, सेना की मीडिया शाखा आईएसपीआर, और कई पाकिस्तानी मीडिया संस्थानों व सोशल मीडिया हस्तियों के अकाउंट्स को ब्लॉक किया था।

खिलाड़ियों और इन्फ्लुएंसर्स पर भी कार्रवाई

सरकार की कार्रवाई केवल राजनीति तक सीमित नहीं रही। पाकिस्तानी क्रिकेटर बाबर आज़म, हारिस रऊफ, मोहम्मद रिज़वान और शाहीन अफरीदी के इंस्टाग्राम अकाउंट भी भारत में ब्लॉक कर दिए गए हैं। सोशल मीडिया पर यह कार्रवाई एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब साइबर स्पेस में भी अपनी सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा करने को तैयार है।

पाकिस्तान की डिजिटल रणनीति पर सवाल

सूत्रों के अनुसार, बीते कुछ समय में पाकिस्तानी खातों से भारत-विरोधी बयान, एडिटेड वीडियोज़ और झूठे नैरेटिव्स का प्रसार बढ़ गया था। इनमें सेना, आतंकवाद और कश्मीर को लेकर भ्रामक जानकारी दी जा रही थी। सरकार का मानना है कि इस तरह की गतिविधियां न केवल लोगों में भ्रम पैदा करती हैं, बल्कि सुरक्षा को भी खतरे में डालती हैं।

विपक्ष की चिंता, लेकिन समर्थन भी

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में कहा कि सरकार की रणनीति पारदर्शी नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे हमलों से निपटने के लिए सरकार के पास क्या स्पष्ट योजना है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विपक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में सरकार के साथ खड़ा है।

भारत की यह डिजिटल कार्रवाई न केवल सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी प्रभाव को सीमित करने का प्रयास है, बल्कि यह एक कड़ा संदेश भी है कि आतंक और दुष्प्रचार का जवाब अब हर मोर्चे पर दिया जाएगा—भौतिक और डिजिटल दोनों।


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