पाकिस्तान में बाढ़ और भूस्खलन से तबाही: खैबर पख्तूनख्वा में 189 मौतें, सैकड़ों घायल
पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा राज्य इन दिनों भारी बारिश और उसके बाद आई बाढ़ व भूस्खलन से भीषण त्रासदी झेल रहा है। पिछले 24 घंटों में यहां 189 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 163 पुरुष, 14 महिलाएं और 12 मासूम बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा 60 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं और कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
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बुनर जिला सबसे ज्यादा प्रभावित
प्रांतीय डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (PDMA) के अनुसार, बुनर जिला इस आपदा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां अकेले 91 लोगों की जान चली गई। स्वात जिले में दर्जनों घर, तीन स्कूल और आठ अन्य इमारतें पूरी तरह तबाह हो गईं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, कई मकान पानी और मलबे में बह गए हैं, जबकि सड़कें टूटने से कई गांव पूरी तरह कट गए हैं।
हेलिकॉप्टर हादसे में पांच की मौत
बचाव और राहत कार्यों में जुटी टीम को भी इस आपदा के दौरान बड़ा झटका लगा। खैबर में एक रेस्क्यू हेलिकॉप्टर खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में दो पायलट समेत पांच लोगों की मौत हो गई। इससे यह साफ हो गया है कि बचाव कार्य सिर्फ प्राकृतिक रुकावटों से ही नहीं, बल्कि गंभीर सुरक्षा खतरों से भी जूझ रहा है।
21 अगस्त तक भारी बारिश की आशंका
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 21 अगस्त तक क्षेत्र में रुक-रुक कर भारी बारिश जारी रहेगी। इससे स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रशासन ने प्रभावित जिलों में राहत और पुनर्वास कार्य के लिए 50 करोड़ पाकिस्तानी रुपए की राशि जारी की है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान भी प्रभावित
बाढ़ और भूस्खलन का असर सिर्फ खैबर पख्तूनख्वा तक सीमित नहीं रहा। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 और गिलगित-बाल्टिस्तान में 5 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में फंसे लोगों को बचाने के लिए हेलिकॉप्टरों का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन लगातार बारिश और ध्वस्त सड़कें राहत कार्य को मुश्किल बना रही हैं।
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अब तक 157 शव बरामद
बचाव टीम के प्रवक्ता मुहम्मद सोहैल के अनुसार, अब तक 157 शव बरामद किए जा चुके हैं और 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हालांकि, खराब मौसम और संचार सेवाओं की कमी के कारण बचाव कार्य बेहद धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। कई इलाकों में फोन और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह ठप हो चुकी हैं, जिससे प्रशासन को सही जानकारी जुटाने और राहत सामग्री भेजने में कठिनाई हो रही है।
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जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाया संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण एशिया पिछले कई वर्षों से जलवायु परिवर्तन से उपजी प्राकृतिक आपदाओं से लगातार जूझ रहा है। पाकिस्तान पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील है। इस साल जुलाई में पाकिस्तानी पंजाब में पिछले साल की तुलना में 73% ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।
ढांचागत कमजोरी और अतिक्रमण से बढ़ा नुकसान
आंकड़ों के अनुसार, कई इलाकों में पुराने और कमजोर घर, खराब जल निकासी व्यवस्था और नदियों के किनारे अतिक्रमण के चलते तबाही और ज्यादा बढ़ गई। भारी बारिश के दौरान मकान ढहने से कई लोगों की मौत हुई, वहीं बिजली के करंट लगने की घटनाओं ने भी जानलेवा रूप लिया।
इस साल अब तक 320 से ज्यादा मौतें
पाकिस्तान में मॉनसून की शुरुआत से अब तक 320 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें लगभग आधे बच्चे शामिल हैं। लगातार बढ़ रही मौतों और तबाही ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को न सिर्फ बेहतर आपदा प्रबंधन की आवश्यकता है बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए दीर्घकालिक नीति की भी जरूरत है।
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