नई दिल्ली/श्रीनगर।
दो महीने पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले की तह में जाकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक अहम कामयाबी हासिल की है। जांच एजेंसी ने इस हमले से जुड़े दो स्थानीय व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिन पर आरोप है कि इन्होंने हमलावर आतंकियों को पनाह और रसद सहायता दी थी। इस गिरफ्तारी से आतंकी नेटवर्क के उस स्थानीय ताने-बाने का खुलासा हुआ है, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को जमीन पर समर्थन देता है।
गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों की पहचान परवेज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार के रूप में हुई है, जो अनंतनाग जिले के ही निवासी हैं। एनआईए की पूछताछ में इन्होंने कबूल किया कि उन्होंने हमले से पहले तीन आतंकियों को अपने गांव के पास स्थित एक ढोक (अस्थायी झोपड़ी) में छिपाया था। इन आतंकियों को भोजन, आश्रय और संपर्क साधनों जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई गईं।
पाकिस्तान से लश्कर कनेक्शन की पुष्टि
पूछताछ के दौरान परवेज और बशीर ने जिन तीन आतंकियों की पहचान बताई, वे पाकिस्तान से आए थे और लश्कर-ए-तैयबा जैसे कुख्यात आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे। यह जानकारी भारत की उन आशंकाओं की पुष्टि करती है कि पहलगाम हमला भी सीमा पार से भेजे गए प्रशिक्षित आतंकियों द्वारा अंजाम दिया गया एक पूर्वनियोजित षड्यंत्र था।
NIA ने यह भी स्पष्ट किया कि इन स्थानीय सहयोगियों की भूमिका महज़ सहयोग की नहीं थी, बल्कि ये जानबूझकर और विचारपूर्वक आतंकियों की सहायता कर रहे थे।

22 अप्रैल का हमला और 26 निर्दोषों की हत्या
यह भयावह हमला 22 अप्रैल को बायसरन घाटी में हुआ था, जो पर्यटन स्थल पहलगाम से महज़ 6 किलोमीटर दूर है। तीन heavily armed आतंकियों ने वहां मौजूद पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान गई और 16 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाया था, जिससे यह हमला न सिर्फ आतंकी कार्रवाई बल्कि सांप्रदायिक घृणा का भी प्रतीक बन गया।
हमले के बाद जारी हुए थे तीन आतंकियों के स्केच
हमले के 48 घंटे बाद यानी 24 अप्रैल को अनंतनाग पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच सार्वजनिक किए। इन स्केच में शामिल नाम थे — आदिल हुसैन ठोकर (स्थानीय निवासी), हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली उर्फ तल्हा भाई, जिनमें मूसा और अली पाकिस्तान के नागरिक हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मूसा पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप का पूर्व कमांडो रह चुका है। इन तीनों आतंकियों पर 20-20 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
हालांकि एनआईए ने यह स्पष्ट नहीं किया कि गिरफ्तार परवेज और बशीर ने इन्हीं तीन आतंकियों की पहचान की है या किसी अन्य समूह की। यह जानकारी आगे की जांच के बाद सामने आएगी।
ऑपरेशन सिंदूर: भारत का सख्त जवाब
भारत ने इस हमले के बाद 6 और 7 मई की दरमियानी रात को जवाबी कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकियों के नौ ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए। इन ठिकानों में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप्स, हथियार डिपो और कमांड हेडक्वार्टर्स शामिल थे।
विशेष जानकारी के अनुसार, इस हमले में जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी भी मारे गए। भारतीय वायुसेना ने कुल 24 मिसाइलें दागीं, जो सटीकता से लक्ष्य पर लगीं।
जांच का दायरा और बढ़ा
एनआईए की इस ताज़ा गिरफ्तारी से साफ है कि पहलगाम आतंकी हमला केवल सीमापार साजिश नहीं थी, बल्कि इसमें स्थानीय सहयोगियों की भूमिका भी अहम रही। इससे सुरक्षा एजेंसियों ने अब कश्मीर में मौजूद स्लीपर सेल्स और आतंकी समर्थक नेटवर्क की गहन छानबीन शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियों की संभावना जताई जा रही है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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