पहलगाम की त्रासदी ने बदली राष्ट्रीय सुरक्षा पर सोच, विपक्ष ने कहा– अब वक्त जवाब का है
नई दिल्ली।
कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने देश को हिलाकर रख दिया है। लेकिन इस बार तस्वीर अलग है—सरकार और विपक्ष दोनों एक मंच पर खड़े नजर आ रहे हैं। हमले के बाद गुरुवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सिर्फ़ हमदर्दी या सांत्वना नहीं दिखी, बल्कि एक स्पष्ट संदेश उभरा—अब चुप रहने का वक्त नहीं, जवाब देने का वक्त है।
सुरक्षा में सेंध की स्वीकारोक्ति, लेकिन फोकस अब ‘एक्शन’ पर
बैठक की अध्यक्षता कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मौजूद गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने हमले के पीछे की सुरक्षा विफलता को स्वीकार किया। मगर यह सिर्फ़ आत्ममंथन नहीं था—बैठक की असली तस्वीर राष्ट्र के लिए एकजुट संकल्प की थी। नेताओं को जो खुफिया जानकारी दी गई, उससे यह साफ़ है कि यह हमला अचानक नहीं था—और अब रणनीतिक स्तर पर जवाब की तैयारी हो रही है।
विपक्ष इस बार ‘आलोचक’ नहीं, ‘सहयोगी’ बना
काफी समय बाद देखा गया कि संसद के भीतर की विरोध की आवाजें, बाहर आकर सरकार के साथ खड़ी हो गईं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने न सिर्फ़ हमले की निंदा की, बल्कि सरकार को खुला समर्थन देते हुए कहा कि इस कठिन समय में राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी।
राहुल गांधी ने यह भी ऐलान किया कि वे शुक्रवार को कश्मीर के अनंतनाग जाएंगे और वहां हमले में घायल नागरिकों से मिलकर उनका हालचाल लेंगे। यह कदम एक तरह से उन परिवारों के प्रति संवेदना भी है और विपक्ष की संवेदनशीलता का इज़हार भी।
युद्ध नहीं, लेकिन जवाब तय है
हालांकि सरकार ने अभी तक कोई युद्ध संबंधी बयान नहीं दिया है, लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, वो किसी संभावित ‘सर्जिकल स्ट्राइक 2.0’ या सीमापार रणनीतिक कार्रवाई से कम नहीं हैं। भारत ने ‘INS सूरत’ से मिसाइल परीक्षण, राफेल स्क्वॉड्रनों का अभ्यास और सीमा के पास बढ़ी सैन्य गतिविधियों से यह साफ कर दिया है कि अब की बार सहनशीलता नहीं, रणनीतिक आक्रमण होगा।
पाकिस्तान की बेचैनी भी दिखी
भारत की आक्रामक तैयारी के बाद पाकिस्तान ने अपना EEZ (विशेष आर्थिक क्षेत्र) सील करते हुए मिसाइल परीक्षण की नोटिफिकेशन जारी की है। कराची एयरबेस से लड़ाकू विमान सरगर्मी से उड़ान भर रहे हैं, जो यह दिखाता है कि भारत के रुख से पाकिस्तान हिला हुआ है।
राष्ट्रीय एकजुटता—यह नया भारत है
इस बार न दृश्य वही हैं, न दृष्टिकोण। सरकार और विपक्ष एकजुट हैं। सिर्फ़ कड़ी निंदा नहीं, ठोस कदमों की बात हो रही है। विपक्ष ने सरकार को न सिर्फ़ समर्थन दिया है, बल्कि यह भी कहा है कि इस बार आतंक के खिलाफ लड़ाई सिर्फ़ सरकार की नहीं, पूरे देश की है।
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