भोपाल. बुंदेलखंड की लोकनृत्य परंपरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले सुप्रसिद्ध राई नर्तक रामसहाय पांडे का निधन हो गया है। वे 97 वर्ष के थे और बीते कुछ समय से भोपाल के एक निजी अस्पताल में उपचाररत थे। कला के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
रामसहाय पांडे का जन्म 11 मार्च 1933 को सागर जिले के मड़धर पाठा गांव में हुआ था। उनके पिता लालजू पांडे किसान थे। महज 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने पहली बार एक मेले में राई नृत्य देखा, और तभी से इस लोकनृत्य को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया।
उन्होंने राई नृत्य को समाज में मान्यता दिलाने के लिए अपने जीवन का हर क्षण समर्पित कर दिया। जहां कभी इसे उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता था, वहीं रामसहाय पांडे ने इस कला को सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने न केवल भारत के विभिन्न राज्यों में, बल्कि विदेशों में भी राई नृत्य की प्रस्तुति देकर इसे वैश्विक मंचों पर पहुंचाया।
उनकी मेहनत और समर्पण से राई नृत्य को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली। वे न केवल एक कलाकार थे, बल्कि लोकसंस्कृति के संवाहक भी थे, जिन्होंने परंपरा और आधुनिकता के बीच सेतु का काम किया। उनकी मृत्यु से भारतीय लोकनृत्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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